केंद्र कई दिनों से बंद, पोषण योजनाओं का हो रहा दुरुपयोग, जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत उजागर
थानागाजी। राज्य सरकार जहां एक ओर बच्चों के पोषण, प्राथमिक शिक्षा और प्रसूताओं को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों को सशक्त बना रही है, वहीं दूसरी ओर जमीनी स्तर पर इन योजनाओं की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। कस्बे के वार्ड नंबर 17 में स्थित आंगनबाड़ी केंद्र कई दिनों से बंद पड़ा है और गोदाम में तब्दील हो चुका है।
स्थानीय लोगों का आरोप है कि संचालिका सुनीता माहेश्वरी, जो जयपुर निवासी हैं, केवल कागजी खानापूर्ति कर हर माह सरकारी वेतन उठा रही हैं, जबकि केंद्र से नौनिहालों और प्रसूताओं को मिलने वाली सेवाएं पूरी तरह ठप हैं। आश्चर्य की बात यह है कि केंद्र पर एक और महिला कर्मचारी सरिता यादव भी कार्यरत हैं, फिर भी केंद्र संचालित नहीं हो रहा।
राज्य सरकार की योजनाओं के तहत बच्चों को मुरमुरे, पंजीरी, मिल्क पाउडर जैसी पोषण सामग्री दी जाती है, लेकिन केंद्र के बंद रहने के कारण वितरण केवल रजिस्टरों में दर्ज किया जा रहा है। जब केंद्र खुला ही नहीं तो सवाल उठता है कि वितरण किसे हुआ? यह सीधा तौर पर भ्रष्टाचार और पोषण योजनाओं की लूट की ओर इशारा करता है।
जैसे ही खबर सीडीपीओ कार्यालय तक पहुंची, दोनों महिला कार्यकर्ता सुबह 11 बजे कार्यालय में हाजिर हुईं, जिसके बाद महिला पर्यवेक्षक गिरिजा शर्मा ने दोनों को नोटिस जारी किया।
इनका कहना है —
“आंगनबाड़ी केंद्र पर लापरवाही के मामले में संबंधित को एक दिन पूर्व ही नोटिस जारी किया गया है। आगे नियमानुसार जो भी विधिक कार्यवाही होगी, वह की जाएगी।”
— महाराम दौरोता,
समेकित बाल विकास परियोजना अधिकारी (अतिरिक्त प्रभार)