कुछ साल पहले तक सूखे की मार झेल रही हाजीपुर डढीकर ग्राम पंचायत में वाटर रिचार्ज के छोटे से प्रयास ने बदल दी गांव की तस्वीर, एनीकट, जोहड़ निर्माण से पानी के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हुए गांव

अलवर. जिला मुख्यालय अलवर के समीप स्थित हाजीपुर डढीकर ग्राम पंचायत में ge के एक छोटे से प्रयास ने ग्रामीणों की तकदीर बदल दी। पानी संरक्षण की पहल कर कुछ साल पहले तक पूरी तरह सूखे की मार से झेल रही इस ग्राम पंचायत में सरकारी एवं गैर सरकारी प्रयास से यह क्षेत्र सूखे से अब पूरी तरह हरियाली में तब्दील हो चुकी है।

अलवर जिला मुख्यालय से मात्र 12 किमी दूर स्थित हाजीपुर ढढीकर ग्राम पंचायत के दो राजस्व ग्राम हाजीपुर और ढढीकर और कुछ छोटी ढाणियों में करीब 2 हजार परिवार और 10 हजार आबादी निवास करती है। यहां रहने वाले ज़्यादातर लोग कृषि और पशुपालन पर ही निर्भर हैं।
क्षेत्र में कम बारिश के चलते वर्ष 2018 तक ग्राम पंचायत में पानी की समस्या थी और यहां के कुओं और बोरिंग में पशुओं को भी पीने तक पानी नहीं बचा था। यहां लोगों का खेती कर पाना भी मुश्किल हो गया। इस कारण गांव से लोगों का शहरों की ओर पलायन होने लगा, लोग यहां खेती छोडकर मजदूरी करने के लिए दूसरे स्थानों पर जाने लगे। कुछ बचे लोग बरसाती फसल बाजरा और बिना पानी के सरसों की फसल कर किसी तरह अपनी गुजर बसर को मजबूर थे। पानी के अभाव में यहां की ज़्यादातर जमीन बंजर हो गई।
ग्रामीणों का छोटा सा प्रयास लाया रंग
भौगोलिक तौर पर हाजीपुर— डढीकर ग्राम पंचायत पहाड़ियों से घिरी हुई है। इस कारण बारिश होने पर पानी बहकर निकल जाता था। वर्ष 2019 में सहगल फ़ाउंडेशन ने यहां पानी संरक्षण का छोटा सा प्रयास शुरू किया। संस्था की ओर से ग्रामीणों को समझाकर यहां एक एनीकट का निर्माण कराया। इसके बाद यह एनीकट पहली ही बारिश में पानी से लबालब हो गए। इससे एनीकट के आस पास के सूखे कुओं में पानी आया, जिससे क्षेत्र के लगभग 60 परिवारों को वर्ष भर खेती के लिए पानी का प्रबंध हो गया।
बाद में ग्रामीणों ने कई गैर सरकारी संस्थाओं के सहयोग से यहां एनीकट एवं जोहड़ निर्माण की मुहिम शुरू की, इसका परिणाम यह हुआ कि एक वर्ष में क्षेत्र में पानी संरक्षण के कई स्ट्रेक्चर तैयार हो गए। इसमें राजीव गांधी जल संचयन योजना से 32 एवं वन विभाग की ओर से 3 बड़े एनीकट और जोहड़ बनाए गए। पीएचडी फ़ाउंडेशन ने भी अनेक एनीकट का निर्माण कराया। इससे गांव के सभी कुओं में पानी का स्तर बढ़ गया। नतीजतन यहां लोगों ने बंजर पड़े खेतों में फसल उगाना शुरू कर दिया। कुछ ही दिनों में यहां बंजर दिखाई पड़ने वाली जमीन में हरियाली लहलहाने लगी। अब यहां अगस्त के महीने में प्याज की खेती की जाती है और उसके बाद उन्हीं खेतों में गेंहू की फसल उगाई जाती है। कुछ लोग यहां सब्जी, सरसों आदि की खेती भी करने लगे हैं।
पानी ने गांव की बदली सूरत, अब ध्यान दे सरकार
यहां रहने वाले किसान तेजपाल गुर्जर का कहना है कि मेरे खेत के पास पीएचडी फ़ाउंडेशन ने बड़ा एनीकट बनाया था, जिससे आस पास के सभी कुओं में पानी आ गया। अब गांव में पानी की कमी नहीं है। ग्रामीणों ने प्रयास कर गांव की सूरत बदल दी, लेकिन अब सरकार को लोगों की सुविधाओं पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि अलवर प्रतापबंध से हाजीपुर तक सड़क खराब होने से ग्रामीणों को मंडी तक फसल पहुंचाने में दिक्कत होती है। सरकार को चाहिए कि इस सड़क का जल्द निर्माण कराया जाए।
स्टेक्चर की मरम्मत जरूरी
इंजीनियर राजेश लवानिया ने बताया कि सहगल फ़ाउंडेशन ने पहला एनीकट 2019 में बनाया था, यहां अन्य एनीकट या जोहड़ भी कुछ अन्य संस्थाओं ने बनाए हैं। इनका लाभ यहां रहने वाले ग्रामीणों को मिला है। अब इन स्टेक्चर की मरम्मत होना और डीसिल्टिंग होना जरूरी है। समय— समय पर इस तरह के कार्य होते रहे तो ज्यादा पानी जमीन में रीचार्ज होगा और ज्यादा समय तक ग्रामीणों को फायदा मिलेगा।

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