नगरपालिका का व्हाट्सएप ग्रुप ‘एसबीएम 2.0’ बना औपचारिकता, सफाई व्यवस्था फिर भी बदहाल

प्रयास अब महज औपचारिक बनकर रह गया
प्रयास अब महज औपचारिक बनकर रह गया

किशनगढ़बास। शहर को स्वच्छ और सुंदर बनाने के लिए जिला कलेक्टर किशोर कुमार के निर्देश पर नगर पालिका किशनगढ़बास द्वारा करीब चार माह पूर्व ‘एसबीएम 2.0 किशनगढ़बास’ नामक एक आधिकारिक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया गया था। उद्देश्य था कि गंदगी दिखाई देने पर आमजन या पार्षद फोटो सहित शिकायत करें और पालिका की टीम तत्परता से सफाई कार्य कर समस्या का समाधान करे। लेकिन यह प्रयास अब महज औपचारिक बनकर रह गया है।

इस ग्रुप में एसडीएम, पालिका अधिशासी अधिकारी, चेयरमैन, सफाई ठेकेदार, पार्षद, मीडिया प्रतिनिधि, व्यापारी संगठनों के पदाधिकारी व गणमान्य लोग जुड़े हुए हैं। लेकिन शिकायतों के बावजूद कार्रवाई के नाम पर शून्यता बनी हुई है।

पार्षद बोले- सफाई नहीं, सुनवाई नहीं

नगरपालिका बोर्ड भाजपा शासित है, चेयरमैन भी भाजपा की हैं। नगर में सांसद भूपेंद्र यादव केंद्रीय मंत्री होने के नाते सक्रिय हैं और पूर्व विधायक रामहेत यादव जैसे नेता भी नगर की राजनीति में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। बावजूद इसके पार्षदों की शिकायतें अनसुनी की जा रही हैं।

भाजपा के पार्षदों को भी ग्रुप में सफाई की दुर्दशा को लेकर बार-बार लिखना पड़ रहा है। एक पार्षद ने तो पालिका चेयरमैन से पार्षदों की बैठक बुलाने की मांग कर दी। वार्ड 20 के पार्षद ने आरोप लगाया है कि “तीन महीने से वार्ड में कूड़ा नहीं उठाया गया। रोड लाइट खराब कर उतार ले गए, लेकिन दोबारा नहीं लगाई गई।”

कांग्रेस नेता ने उठाई आवाज, फिर भी नहीं जगी पालिका

कांग्रेस नेता एवं पूर्व सरपंच अजय चौधरी ने पुराने पंचायत भवन के सामने मुख्य सड़क पर पसरे कचरे की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा कर प्रशासन का ध्यान खींचने की कोशिश की। उन्होंने बताया कि यहां सुबह से देर रात तक भारी ट्रैफिक और पैदल राहगीरों की आवाजाही रहती है। पास ही रोडवेज बस स्टैंड है, जहां से अलवर, तिजारा, भिवाड़ी और कोटकासिम के लिए बसें संचालित होती हैं। सड़क पर गंदगी के कारण दुर्घटना का खतरा बना हुआ है।

ऐसे ही हालात खैरथल रोड स्थित सहकारी दुकान के सामने भी बने हुए हैं। वहां भी सड़क पर कचरे के ढेर लगे हुए हैं, जिससे आवागमन में परेशानी हो रही है।

कलेक्टर की पहल भी धरी की धरी रह गई

लगभग तीन माह पूर्व जिला कलेक्टर किशोर कुमार ने किशनगढ़बास में एक माह का सफाई अभियान चलवाया था और उसी दौरान ‘एसबीएम 2.0’ ग्रुप भी बनाया गया था। उस अभियान में कितने वार्डों की सफाई हुई, यह बात भी किसी से छिपी नहीं है।

अब हालात यह हैं कि पार्षद तक कहने लगे हैं कि “नगरपालिका की हकीकत से केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को अवगत कराना होगा, तभी व्यवस्था सुधरेगी।”

वेतन और पीएफ नहीं, इसलिए बार-बार होती है सफाई कर्मचारियों की हड़ताल

नगरपालिका के सफाई कर्मचारियों को नियमित वेतन और पीएफ नहीं मिलने के कारण बार-बार हड़ताल करनी पड़ती है। इस स्थिति में सफाई व्यवस्था का चरमराना स्वाभाविक है।

निष्कर्ष:
शहर को साफ-सुथरा बनाए रखने का प्रयास जहां एक ओर डिजिटल माध्यमों के सहारे आधुनिक बनता दिखा, वहीं दूसरी ओर अधिकारियों की उदासीनता ने इस पहल को नाकाम कर दिया है। नगर के जागरूक नागरिकों और जनप्रतिनिधियों का अब यही कहना है कि जवाबदेही तय किए बिना सुधार संभव नहीं।

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