कुलदीप मावर, भिवाड़ी।
जिस दौर में रिश्ते अक्सर स्वार्थ से तय होते हैं, उसी दौर में हरियाणा के गहली गांव के कृष्ण और सुनीता ने प्यार की वो मिसाल कायम की, जो मौत के बाद भी साथ छोड़ने को तैयार नहीं थी।
शुक्रवार को भिवाड़ी जिला अस्पताल में जो दृश्य देखा गया, उसने सबको झकझोर कर रख दिया। कृष्ण अपनी प्रेमिका सुनीता को मृत अवस्था में अस्पताल की इमरजेंसी में लेकर पहुंचा। डॉक्टरों ने जांच के बाद सुनीता को मृत घोषित किया, लेकिन यह सुनते ही कृष्ण का जैसे जीवन समाप्त हो गया। वह वहीं बेहोश होकर गिर पड़ा। प्राथमिक उपचार के बाद जब उसे अलवर रेफर किया गया, तो रास्ते में ही उसने भी दम तोड़ दिया।
10 साल पहले शुरू हुई थी मोहब्बत की कहानी
यह प्रेम कहानी करीब दस साल पहले हरियाणा के नारनौल के गहली गांव में शुरू हुई थी। कृष्ण और सुनीता पड़ोसी थे। पहली बार जब सुनीता दूध लेने आई, तो दोनों की नजरें मिलीं और नजदीकियां बढ़ती गईं। धीरे-धीरे ये नजदीकियां दिलों की धड़कनों में बदल गईं।
हालातों और समाज के खिलाफ जाकर सुनीता ने अपने पति अशोक को छोड़ दिया और कृष्ण के साथ नई जिंदगी की शुरुआत की। दोनों भिवाड़ी आकर रहने लगे। उन्होंने किसी समाज की परवाह नहीं की—बस अपने प्यार पर भरोसा किया।
प्रेमिका की मौत बर्दाश्त नहीं कर सका प्रेमी
शुक्रवार को जब कृष्ण ने सुनीता को मृत अवस्था में अस्पताल पहुंचाया, तो डॉक्टर सागर अरोड़ा के अनुसार, सुनीता की पहले ही मौत हो चुकी थी। लेकिन शायद कृष्ण को यह स्वीकार नहीं था।
डॉक्टरों के सामने जैसे ही सुनीता को मृत घोषित किया गया, कृष्ण खुद को संभाल नहीं सका। वह गिर पड़ा, और फिर कभी नहीं उठा।
लोगों की आंखों में आंसू, जुबान पर कहानी
आज यह प्रेम कहानी हर किसी की जुबान पर है। अस्पताल में मौजूद लोग कह रहे थे—
“ये हमारे समय के लैला-मजनूं थे।”
“इन्होंने न समाज की सोची, न रिश्तों की दीवार देखी… बस प्यार किया और उसी के साथ दुनिया से चले गए।”
एक प्रेम कहानी जो अमर हो गई
सुनीता और कृष्ण अब इस दुनिया में नहीं हैं। मगर उनका प्यार, उनका समर्पण और उनका अंत—एक ऐसी कहानी बन गया है, जो दिलों में हमेशा जिंदा रहेगी।
यह कहानी बताती है कि सच्चा प्यार न उम्र देखता है, न रिश्ते और न ही मौत।