किशनगढ़ बास।
जिले में अवैध खनन पर लगाम कसने की तमाम कोशिशों के बावजूद माचा क्षेत्र में खनन माफियाओं का नेटवर्क सक्रिय बना हुआ है। बुधवार देर रात तहसीलदार नरेंद्र भाटिया के नेतृत्व में वन विभाग और पुलिस की संयुक्त टीम ने माचा, ओदरा और आसपास के पहाड़ी क्षेत्र में दबिश दी, लेकिन टीम को कोई सफलता नहीं मिल सकी। टीम के खाली हाथ लौटने के बाद अब कार्रवाई की गंभीरता और अधिकारियों की भूमिका पर सवाल उठने लगे हैं।
हल्का पटवारी ज्योति ने बताया कि वह पिछले दो माह से माचा क्षेत्र में ड्यूटी पर हैं और इस दौरान अवैध खनन की लगातार रिपोर्ट उपखंड और जिला प्रशासन को लिखित में भेज चुकी हैं। ग्रामीणों द्वारा भी किशनगढ़बास एसडीएम कार्यालय में शिकायतें दी गई हैं। बावजूद इसके अब तक कोई ठोस कार्रवाई सामने नहीं आई है।
तहसीलदार भाटिया ने बताया कि टीम रात करीब 1 बजे तक क्षेत्र में भ्रमण करती रही, लेकिन कोई खनन गतिविधि मौके पर नहीं मिली। उनका कहना है कि माफियाओं को नहीं छोड़ा जाएगा और अगली बार और अधिक मुस्तैदी के साथ कार्रवाई की जाएगी।
हालांकि स्थानीय सूत्रों की मानें तो टीम की दबिश की सूचना पहले ही खनन माफियाओं तक पहुंच गई थी, जिससे वे मौके से फरार हो गए। अब बड़ा सवाल यह है कि इस सूचना का लीक होना किसकी मिलीभगत का संकेत है?
क्षेत्र में लंबे समय से अवैध खनन की गतिविधियाँ चल रही हैं और ग्रामीणों का आरोप है कि इस गोरखधंधे में कुछ स्थानीय राजनीतिक लोग भी शामिल हैं, जिससे प्रशासन पर दबाव बना रहता है। जिला कलेक्टर के सख्त निर्देशों और जिले में ही केंद्र व राज्य सरकार के वन एवं पर्यावरण मंत्री की मौजूदगी के बावजूद दो महीने की रिपोर्टिंग और ग्रामीण शिकायतों के बाद भी कार्रवाई का न होना प्रशासनिक उदासीनता को दर्शाता है।
स्थानीय लोग अब यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या यह ढिलाई मात्र लापरवाही है, या इसके पीछे कुछ और वजहें हैं? आने वाले समय में क्या वास्तव में माफियाओं के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे, या यह भी सिर्फ एक और औपचारिकता बनकर रह जाएगी?