अलवर. शालीमार शिव मंदिर से शुक्रवार को आदि कैलाश के लिए 77 श्रदधालुओं का दल रवाना हुए। यह यात्रा अलवर से पहली बार आदि कैलाश धाम के लिए जा रही है। दल में महिला, पुरुष व बच्चे शामिल है। यह यात्रा आठ दिन की होगी। यात्रा 15 जून को पुन: अलवर पहुंचेगी। यात्रा में अलवर, जयपुर, एमपी और यूपी के श्रदालु शामिल हैं। यात्रा में शामिल श्रदालु लगभग 15 धार्मिक स्थानों का दर्शन करेगी। यात्रा संयोजक ओमप्रकाश ने बताया कि यात्रा में शामिल श्रद्वालु रेवाड़ी तक बस से जाएंगे। रेवाड़ी से टेन द्वारा काठगोदाम पहुंचेगे। इसके बाद निजी वाहनों से आगे की यात्रा पूरी करेंगे।
इन दर्शनीय स्थलों पर जाएंगे दल के श्रदालु
यात्रा काली मंदिर, कालापानी, पार्वती मुकुट और पांडव पर्वत, पांडव किला, कुटी गांव, शेषनाग पर्वत, ब्रह्म पर्वत, वेद व्यास गुफा, भीमताल, जागेश्वर धाम, जागेश्वर धाम, पाताल भुवनेश्वर, चितई गोलू देवता मंदिर, नीम करोली बाबा आश्रम, शिव पार्वती मंदिर, पार्वती सरोवर, गौरी कुंड, ओम पर्वत व आदि कैलाश दर्शन के लिए जाएगी।
यह है धार्मिक स्थलों का महत्व
काली मंदिर, कालापानी: मंदिर काली नदी पर है और काली को समर्पित है।
पार्वती मुकुट और पांडव पर्वत: ये अजीबोगरीब पर्वत शिखर पार्वती के मुकुट की तरह प्रतीत होते हैं। उन्हें जोलिंगकोंग से देखा जा सकता है।
पांडव किला, कुटी गांव: माना जाता है कि यह किला पांडवों द्वारा बनाया गया था।
शेषनाग पर्वत: यह पर्वत तब देखा जा सकता है जब आप गुंजी से ओम पर्वत की यात्रा कर रहे हों। विचित्र आकार पौराणिक सर्प शेषनाग के फन जैसा दिखता है।
ब्रह्म पर्वत: यह पर्वत शिखर आदि कैलाश के रास्ते में आता है। यह जोलिंगकोंग से 14 किमी दूर है।
वेद व्यास गुफा: यह गुफा ओम पर्वत के रास्ते में आती है और इसे केवल दूर से ही देखा जा सकता है।
भीमताल: यह उत्तराखंड की सबसे बड़ी झीलों में से एक है और इसका नाम महाभारत की कहानी के भीम के नाम पर रखा गया है।
जागेश्वर धाम: यह शानदार वास्तुकला और नक्काशी वाले 25 मंदिरों का एक समूह है।
पाताल भुवनेश्वर: यह पिथौरागढ़ जिले में 90 फीट गहरी गुफा है।
चितई गोलू देवता मंदिर: स्थानीय देवता चितई गोलू देवता का यह मंदिर लोगों की प्रार्थनाओं से बंधी घंटियों और कागज के नोटों के लिए भी प्रसिद्ध है।
नीम करोली बाबा आश्रम, कैंची धाम: यह आश्रम प्रसिद्ध नीम करोली बाबा का है, जिनके मार्क जुकरबर्ग और स्टीव जॉब्स जैसे प्रसिद्ध अनुयायी थे।
शिव पार्वती मंदिर: मंदिर तक जोलिंगकोंग से पहुंचा जा सकता है और आदि कैलाश पर्वत श्रृंखला के उत्कृष्ट दृश्य प्रस्तुत करता है।
पार्वती सरोवर: यह एक झील है जो जोलिंगकोंग से 2-3 किमी की पैदल दूरी पर है। इस झील से आदि कैलाश का प्रतिबिंब देखा जा सकता है।
गौरी कुंड: यह झील आदि कैलाश पर्वत के पास है और कैलाश मानसरोवर में गौकी कुंड से छोटी है।
ओम पर्वत: अद्वितीय पर्वत जिसमें बर्फ है जो एक ओम प्रतीक का आकार लेता है।
आदि कैलाश: यह पवित्र पर्वत शिखर पंच कैलाश पर्वत चोटियों में से एक है।
यह श्रदालु है यात्रा में शामिल
ओमप्रकाश यादव, गजराज सिंह, देवेंद्र चंदेल, माया, कुसुम, मूलचंद गहलोत, चित्रा, जयंत गहलोत, मयंक गहलोत, हनुमान, मधु तंवर, रितेश अग्रवाल, नीरू अग्रवाल, पल्लवी, विधि अग्रवाल, विनोद गुप्ता, पूजा, अवि अग्रवाल, अक्षत अग्रवाल, कृष्णा खंडेलवाल, गोविंद सुनयानी, सोमनाथ, अशोक सैनी,रजनी सैनी, ललित यादव, शोभा यादव, माया यादव, बाला यादव, ब्रहमा नंद, यशवर्धन शर्मा, प्रियंका पालीवाल, छोटा देवी, जगनेश, अलका, कैलाश यादव, राजेंद्र दीक्षित,अजय खत्री, केशू भाई, सिया सैनी, तनवी सैनी, मुकेश गुप्ता, मधु गुप्ता, बाबूलाल गुप्ता, शीला गुप्ता, कैलाश गुप्ता, रंजना गुप्ता, घनश्याम, दीपा खंडेलवाल, सुरेश गुप्ता, सरोज गुप्ता, मुकेश सैनी, गिर्राज अजमेरा, गौरव सोनी, राजेश मित्तल, सीमा मित्तल,अश्वनी, नीता घोसला, रेखा सैनी, नीलम, लोकश यादव, शिवानी यादव, सुमन मीणा, राजेश श्रीवास्तव,अनुपमा श्रीवास्तव, सुभाष श्रीवास्तव, संजू श्रीवास्त, अखिलेश श्रीवास्तव, शालिनी, कृष्णा गोपाल, जगन्नाथ, शांति देवी, गिर्राज गुप्ता, गोरी शंकर, विजय खंडेलवाल, ललित सैनी, नीरू सैनी, महेंद्र खंडेलवाल और अनुराधा शमिल है।