#सरकार को खुद की करीब एक सौ करोड़ की जमीन वापिस दिलाने के लिए #सामाजिक कार्यकर्ता अशोक अग्रवाल को लड़नी पड़ी लड़ाई

    Rajasthan government took back its land, worth about Rs 100 crore
    Ashok agrwal
    Ashok Agrawal who fought against the government in his favor

    फायदा सरकार को हुआ , खुशी अग्रवाल को

    विजय यादव , मिशन सच स्पेशल स्टोरी 

    जयपुर। राजस्थान के अलवर जिले में नगर विकास न्यास को उसी की जमीन वापिस दिलाने के लिए एक सामाजिक कार्यकर्ता व भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष अशोक अग्रवाल को बीस साल तक लड़ाई लड़नी पड़ी । आखिर जीत हुई। हालांकि जीत का फायदा राजस्थान सरकार को हुआ है, पर अग्रवाल को खुशी इस बात की है कि गलत काम के खिलाफ जो लड़ाई उन्होंने शुरू की उसकी सुनवाई हो ही गई। मामला अलवर के बुधविहार स्थित लाला चतरूराम चैरेटिबल एंड रिलीजियस ट्रस्ट का है। न्यास ने वर्ष 2003 में इस ट्रस्ट को 15 हजार वर्ग मीटर की जमीन मात्र 11 लाख रुपए में दी थी।यानी उस समय की रिजर्व प्राइस की मात्र 10 प्रतिशत में। यूआईटी में कहा गया था कि यहां पर बालिका माध्यमिक विधालय बनाया जाएगा। 
    जमीन आवंटन के बाद इस जमीन के कुछ हिस्से पर ही स्कूल बनाया बाकी जमीन पर चार दीवारी करके  कब्जा ले लिया गया। सामाजिक कार्यकर्ता अशोक अग्रवाल ने पता किया तो जानकारी मिली कि जिस ट्रस्ट को यह जमीन आवंटित की है वह सोसायटी एक्ट में रजिस्टर्ड नहीं है और इसे गलत आवंटन कर दिया गया है। उसी दिन से उन्होंने लड़ाई लड़ना शुरू कर दिया। यूआईटी से लेकर सीएम तक अनेक पत्र लिखे पर किसी ने नहीं सुनी। जांच के नाम पर फाइल इधर से उधर चलती रही, पर अग्रवाल ने पीछा नहीं छोड़ा। उन्होंने सूचना के अधिकार के तहत समस्त दस्तावेज निकलवा कर सरकार को कहा कि आखिर आप अपनी जमीन पर कब्जा क्यों नहीं करते। तब जाकर जांच शुरू की गई। 
    क्या निकला जांच में – सरकार की ओर से जांच करवाई गई तो पता लगा कि न सिर्फ आवंटन गलत किया गया बल्कि जो नियम बताए गए उनका पालन भी नहीं हो रहा। जब यूआईटी सख्त हुई तो इस ट्रस्ट ने रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए आवेदन किया। पूरी जांच के बाद भी सरकार के अधिकारियों ने मामले को लटकाए रखा। अग्रवाल ने बार बार राजस्थान के मंत्री को बताया कि ट्रस्ट के नाम पर आपकी 15 हजार वर्गमीटर जमीन का आवंटन गलत है, आप उस पर कब्जा ले सकते है क्योंकि इस जमीन की वर्तमान दर करीब एक सौ करोड़ रूपए है। 
    दो तरह से हुई कानून की अवहेलना – इसमें ट्रस्ट का रजिस्ट्रेशन सोसायटी एक्ट में नहीं होना व आदेश के अनुसार दो साल में स्कूल बनाकर चालू करना था परंतु आज तक उस जमीन के मामूली हिस्से पर ही स्कूल बनाया गया। इन दोनों को आधार मानते हुए नगर विकास न्यास अलवर ने शनिवार 17 अगस्त 2024 को इस जमीन का आवंटन निरस्त करने के आदेश जारी कर दिए है। New Doc 08-17-2024 13.35 (2)New Doc 08-17-2024 13.35 (2)

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