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    सिस्टम की गड़बड़ी ने बना दिया ‘मुर्दा’, जिंदा शख्स बोला– मुझे मेरी तनख्वाह दिलवाओ

    रोहतक: पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट के अधिकारियों की गलती की वजह से एक जिंदा कर्मचारी को मृत ही घोषित कर दिया गया। जबकि यह कर्मचारी सोमवार को खुद जिला लोक संपर्क एवं परिवेदना समिति की मीटिंग में हाजिर हो हो गया। इस कर्मचारी ने मीटिंग की अध्यक्षता कर रहे डीसी धर्मेंद्र सिंह के सामने रोकर अपनी व्यथा सुनाई। डीसी ने पूरा मामला समझने के बाद इस कर्मचारी को लंबित मानदेय का भुगतान करने और हरियाणा कौशल रोजगार निगम में पोर्ट करने के आदेश दिए।

    दरअसल जिला लोक संपर्क एवं परिवेदना समिति की मासिक मीटिंग सोमवार को दोपहर बाद जिला भवन में आयोजित की गई। इस मीटिंग की अध्यक्षता कैबिनेट मंत्री कृष्ण लाल पंवार को करनी थी लेकिन वे किन्हीं कारणों की वजह से नहीं पहुंचे। जिसके बाद डीसी धर्मेंद्र सिंह ने मीटिंग की अध्यक्षता की। इस मीटिंग में 16 शिकायत रखी गई थी। सबसे आखिरी शिकायत लोकल रामलीला पड़ाव वाल्मीकि बस्ती निवासी विजय कुमार की थी। वह पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट में पिछले 16 वर्ष से अनियमित कर्मचारी के तौर पर काम कर रहा है। उसने वर्ष 2008 में ठेकेदार के माध्यम से पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट में पंप ऑपरेटर के रूप में नौकरी शुरू की थी, लेकिन कोरोना महामारी के दौरान उसके आधार कार्ड में कुछ गड़बड़ी करके उसे मृत घोषित कर दिया, जबकि वह महामारी में भी ड्यूटी देता रहा। इसके बाद उसे नौकरी से हटा दिया और कोई पैसा भी नहीं दिया।

    नवंबर 2022 से लेकर 31 मार्च 2024 तक ड्यूटी करवाई

    विजय कुमार ने बताया कि पब्लिक हेल्थ के अधिकारियों ने उससे नवंबर 2022 से लेकर 31 मार्च 2024 तक ड्यूटी करवाई, लेकिन कोई वेतन नहीं दिया। इसके बारे में तत्कालीन एक्सईएन फूल सिंह से मिलकर बात की तो उन्होंने कहा कि ड्यूटी करते रहे, आपका नाम चढ़ जाएगा और पैसा मिल जाएगा, लेकिन कोई भुगतान नहीं हुआ। फिलहाल उसकी ड्यूटी ओल्ड बस के नजदीक है। उसके पास पीएफ अकाउंट भी है। लॉग बुक में भी हाजिरी लगती है। लेबर कोर्ट में भी उसके हक में फैसला आ चुका है। इसके बावजूद विभाग के अधिकारियों की गलती की वजह से उसे रिकॉर्ड में मृत दर्शा दिया गया। इस वजह से उसका कई माह का मानदेय लंबित है।

    डीसी से मिला तो दोबारा ड्यूटी पर ले लिया

    ऐसे में विजय कुमार खुद डीसी की अध्यक्षता में हुई मीटिंग में हाजिर हुआ और अपना दुखड़ा सुनाया। अपनी व्यथा सुनाते समय वह रो पड़ा। उसने कहा कि वह ड्यूटी कर रहा है, हाजिरी भी लॉग बुक में लगती है लेकिन सिस्टम ने उसे मार दिया। कोरोना महामारी के समय भी वह ड्यूटी पर डटा रहा। विजय कुमार ने बताया कि 18 फरवरी को उसे नौकरी से हटा दिया गया, जिसके बाद 19 फरवरी केो डीसी से मिला तो दोबारा ड्यूटी पर ले लिया। पिछले 6 माह से ड्यूटी दे रहा हू, लेकिन आज तक कोई वेतन नहीं मिला। उसे जनवरी 2024 में एचकेआरएन में भी शामिल करते हुए नाम दर्ज किया गया, लेकिन उसके माध्यम से भी कोई वेतन नहीं मिला।

    3 लाख 83 हजार 321 रुपए मुआवजे के रूप में देने के निर्देश दिए

    अधिकारी ड्यूटी तो करवा रहे हैं, लेकिन वेतन नहीं दे रहे। शिकायत करने पर कोई सुनने वाला नहीं है। विजय कुमार ने लेबर कोर्ट में केस भी किया था, जिसमें उसे जीत मिली। कोर्ट ने डिपार्टमेंट को 3 लाख 83 हजार 321 रुपए मुआवजे के रूप में देने के निर्देश दिए हुए हैं, लेकिन वह पैसा भी आज तक नहीं मिला है। घर का गुजारा भी मुश्किल से चल रहा है। विभाग उसे तिल तिल मरने पर विवश कर दिया है। इस पर डीसी धर्मेंद्र सिंह ने पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट के एक्सईएन से इस बारे में जवाब मांगा। हालांकि वह स्पष्ट तौर पर कोई जवाब नहीं दे पाया गया। सिर्फ इतना कहा कि रिकॉर्ड में गलती की वजह से यह सब हुआ होगा। इसके बाद डीसी ने लेबर कोर्ट के फैसले के आधार पर विजय कुमार को लंबित मानदेय का भुगतान करने और एचकेआरएन में पोर्ट कराने के आदेश दिए। इस पर एक्सईएन ने बताया कि इस समय पोर्टल बंद है। जिसके बाद डीसी ने कहा कि जिला लोक संपर्क एवं परिवेदना समिति की मीटिंग की कार्यवाही के आधार पर कर्मचारी को मानदेय का भुगतान कराया जाए।

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