अलवर। सरिस्का टाइगर रिज़र्व में इन दिनों दुर्लभ गिद्धों के झुंड लगातार दिखाई पड़ रहे हैं। यह नतीजा है कि सरिस्का में पर्यावरण संरक्षण का। इस कारण यहां गिद्धों का कारवां तेजी से बढ़ा है। हालांकि सरिस्का में कुछ साल पहले गिद्ध लुप्त हो गए थे। पर्यावरण संरक्षण में सरकार की ओर से मवेशियों को खिलाई जाने वाली डाइक्लोफेनिक दवा पर रोक लगाने के निर्णय की बड़ी भूमिका रही है।
टाइगर रिजर्व सरिस्का में वर्षों से विलुप्ति की कगार पर पहुंच चुके गिद्धों की संख्या में अब वृद्धि देखी जा रही है। सरिस्का में पिछले कुछ सालों से चल रहे गिद्ध संरक्षण कार्यक्रम के सकारात्मक परिणाम दिखाई पड़ने लगे हैं। सरिस्का टाइगर रिज़र्व में पिछले कई सालों से गिद्ध संरक्षण के विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें गिद्धों के अनुकूल प्राकृतिक वातावरण तैयार करने, उनके भोजन की व्यवस्था करने के प्रयास किए गए हैं। वहीं सरकार की ओर से सबसे महत्वपूर्ण प्रयास जानवरों को खिलाई जाने वाली डाइक्लोफेनिक पर नियंत्रण भी शामिल है।
गिद्ध है जंगल का सफाईकर्ता
सरिस्का के फील्ड डायरेक्टर एवं सीसीएफ संग्राम सिंह कटियार ने बताया कि सरिस्का में गिद्धों के संरक्षण के लिए राज्य सरकार की ओर से अच्छी पहल की गई है। इसमें जानवरों को खिलाई जाने वाली दवा डाइक्लोफेनिक पर रोक लगाई गई है। पहले जानवरों को यह दवा खिलाई जाती थी तो उनकी मौत के बाद जब गिद्ध मवेशियों के शवों को खाते तो अवशेषों के साथ यह डाइक्लोफेनिक दवा उनके शरीर में पहुंच जाती थी और गिद्धों के विलुप्त होने का कारण बनी। इस दवा पर रोक लगाने के बाद मवेशियों को अब यह दवा नहीं खिलाई जाती, इससे मवेशियों के शवों के अवशेषों के जरिए गिद्धों के शरीर में अब जहर नहीं पहुंच रहा, इससे गिद्धों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। गिद्धों का मुख्य भोजन मृत मवेशी होते हैं। इसलिए गिद्धों को जंगल का सफाईकर्ता माना जाता है। कारण है कि मृत मवेशियों का शव लंबे समय तक पड़ा रहे तो उससे बहुत सारे रोग फैलने की आशंका रहती है, लेकिन गिद्ध मृत मवेशी को दो— तीन दिन में खत्म कर देते हैं, जिससे जंगल में अन्य वन्यजीवों में किसी प्रकार का रोग फैलने का खतरा नहीं रहता। इस कारण ही गिद्धों को पर्यावरण संरक्षण के लिए जरूरी माना गया है। इसके अलावा सरिस्का के जंगल में पुराने पेड़ों का संरक्षण किया गया है। गिद्ध पुराने पेड़ों को आवास के रूप में काम में लेते हैं। यही कारण है कि जैसे— जैसे पर्यावरण का संरक्षण होता है, वैसे— वैसे ही गिद्धों का भी संरक्षण होता है।
सरिस्का में गिद्धों की कई प्रजातियां
वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार सरिस्का क्षेत्र में लांग-बिल्ड वल्चर, व्हाइट-बैक्ड वल्चर और इजिप्शियन वल्चर आदि प्रजातियां पाई जाती हैं। गिद्धों की ये प्रजातियां हवामहल, टहला, क्रास्का, कांकवाड़ी आदि क्षेत्रों में मुख्यत: पाई जाती है। पिछले कुछ सालों में इनकी संख्या में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की गई है।