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    व्रत और पूजा से मिलती है भगवान की कृपा, पति की उम्र और बच्चों की तरक्की में सहायक, शास्त्रों में भी बताया गया है महत्व

    भारतीय संस्कृति में व्रत और पूजा का बहुत खास महत्व माना गया है. खासकर जब कोई महिला शादी के बाद अपने पति के घर आती है तो उसका हर धार्मिक काम सिर्फ उसके लिए नहीं होता बल्कि पूरे परिवार के लिए शुभ फल लेकर आता है. चाहे वह एकादशी का व्रत हो, सोमवार का, मंगलवार का, गुरुवार या चतुर्थी का-हर पूजा और उपवास के पीछे गहरी मान्यता जुड़ी होती है. कहा जाता है कि जब कोई स्त्री श्रद्धा से पूजा-पाठ करती है तो उसका असर उसके पति, बच्चों और पूरे परिवार पर पड़ता है. यही वजह है कि पीढ़ियों से महिलाएं घर-परिवार की सुख-समृद्धि और लंबी आयु की कामना करते हुए व्रत-उपवास करती आ रही हैं.

    व्रत का उल्लेख स्कंद पुराण में
    स्कंद पुराण में साफ तौर पर लिखा है कि जब कोई स्त्री शादी के बाद अपने पति के साथ गृहस्थ जीवन जीती है और व्रत-पूजन करती है तो उसका फल सिर्फ उसे ही नहीं मिलता. उसका पुण्य पति के खाते में भी जुड़ता है. इतना ही नहीं, बेटी और बेटे को भी उस साधना का असर मिलता है. यही कारण है कि हिंदू धर्म में स्त्रियों के व्रत और पूजा को परिवार की नींव का आधार कहा गया है.
    स्त्री के व्रत का पति पर असर
    कहा जाता है कि जब पत्नी पूरे मन से व्रत करती है तो पति को लंबी आयु, स्वास्थ्य और तरक्की का आशीर्वाद मिलता है. चाहे वह सोमवार का व्रत हो, जो शिवजी को समर्पित है, या फिर गुरुवार का व्रत, जो विष्णु भगवान को माना जाता है-हर व्रत का सीधा असर पति की खुशहाली से जुड़ा हुआ है. यही वजह है कि शादीशुदा महिलाएं अपने पति के लिए उपवास रखना शुभ मानती हैं.

    बच्चों पर पड़ता है असर
    जब मां कोई व्रत करती है, पूजा-पाठ करती है या किसी देवता की आराधना करती है, तो उसका असर बच्चों पर भी पड़ता है. मां के तप और पुण्य से बच्चों की शिक्षा, करियर और जीवन में आने वाली परेशानियां भी कम हो जाती हैं. यही कारण है कि माता-पिता के पुण्य को संतान का सबसे बड़ा सहारा माना गया है.

    परिवार की समृद्धि और सुख-शांति
    एक स्त्री का उपवास और पूजा केवल पति-पत्नी तक सीमित नहीं रहता, बल्कि पूरे घर में सकारात्मक ऊर्जा फैलाता है. घर में सुख-शांति बनी रहती है, विवाद और कलह दूर होते हैं और समृद्धि के रास्ते खुलते हैं. स्कंद पुराण के अनुसार, जब घर की स्त्री ईमानदारी से व्रत करती है तो पूरा परिवार भगवान की कृपा का हकदार बन जाता है.

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