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    इंट्राडे ट्रेडर्स पर सेबी की सख़्ती, इंडेक्स ऑप्शंस की निगरानी के नियम बदले

    व्यापार: बाजार नियामक सेबी ने इक्विटी इंडेक्स डेरिवेटिव्स में इंट्राडे पोजीशन की निगरानी के लिए एक नया ढांचा बनाने का एलान किया है। इसका मकसद बाजार से जुड़े जोखिमों को रोकना है।भारतीय प्रतिभूति व विनिमय बोर्ड (सेबी) ने कहा है कि नए ढांचे के तहत इंडेक्स ऑप्शंस में प्रति इकाई शुद्ध इंट्राडे पोजिशन की सीमा 5,000 करोड़ रुपये कर दी गई है। पहले यह सीमा 1,500 करोड़ रुपये थी। सकल इंट्राडे पोजीशन को मौजूद समय के अनुसार 10,000 करोड़ रुपये ही रखा गया है। नियामक ने बताया है कि यह नियम यह लॉन्ग और शॉर्ट पोजीशन पर अलग-अलग लागू होगा। 

    सेबी का नया ढांचा एक 1 अक्तूबर से प्रभावी होगा और सभी व्यापारिक दिनों में बाजार की गतिविधि को आसान बनाएगा। इससे एक्सपायरी के दिन बड़े पैमाने पर इंट्राडे पोजिशन लेने पर रोक लग सकेगी। सेबी के अनुसार नया नियम बाजार के बारे में पूर्वानुमान लगाने, परिचालन को स्पष्ट करने में मददगार होगा। सेबी के अनुसार नया ढांचा ट्रेडिंग को आसान बनाने और जोखिम प्रबंधन के बीच उचित संतुलन बनाएगा।

    यह ढांचा केवल इंडेक्स ऑपशंस तक ही सीमित रहेगा। सेबी का नया नियम कारोबारी दिन के दौरान व्यक्तिगत संस्थाओं की ओर से लिए जाने वाले ट्रेडिंग पोजीशन पर नजर रखेगा। इससे अत्यधिक जोखिम लेने से बचने और बाजार में व्यवस्था बनाए रखने में मदद मिलेगी।

    सेबी ने यह पाया कि समाप्ति के दिनों में सूचकांक विकल्पों में कुछ संस्थाओं की ओर से बड़े इंट्राडे फ्यूचर इक्विवेलेंट (FutEq) या डेल्टा इक्विवेलेंट पोजीशन बनाने की घटनाएं बढ़ रही हैं। इससे बाजार में अस्थिरता और बाजार की अखंडता को खतरा पैदा हो रहा है। इसे देखते हुए नए नए नियम बनाए गए हैं।

    यह कदम सेबी की ओर से अमेरिकी हेज फंड जेन स्ट्रीट पर भारतीय प्रतिभूति बाजार से अस्थायी रूप से प्रतिबंध लगाने के बाद उठाया गया है। सेबी ने पाया कि जेन स्ट्रीट नकदी और वायदा व विकल्प बाजारों में एक साथ दांव लगाकर अच्छा मुनाफा कमाकर सूचकांकों में हेरफेर कर रही थी। सोमवार देर रात जारी अपने परिपत्र में नियामक ने कहा कि स्टॉक एक्सचेंज कम से कम चार  इंट्राडे स्नैपशॉट के माध्यम से स्थिति की निगरानी करेंगे। इसमें 2:45 बजे से 3:30 बजे के बीच का स्नैपशॉट भी शामिल होगा। यह वह अवधि है जब आम तौर पर अत्यधिक गतिविधि देखी जाती है।

    सीमा का उल्लंघन करने वाली संस्थाओं के लिए, स्टॉक एक्सचेंज ट्रेडिंग पैटर्न की जांच करेंगे और ग्राहकों से ऐसी स्थिति के लिए तर्क मांगेंगे। सेबी ने कहा कि नए नियमों के उल्लंघन पर जुर्माना के साथ-साथ अतिरिक्त निगरानी जमा राशि भी जमा करानी होगी। इसका निर्धारण स्टॉक एक्सचेंजों की ओर से संयुक्त रूप से किया जाएगा।

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