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    177 रेल पुल और करीब 5 सुरंगों से होकर गुजरी….तानाशाह किम जोंग उन की हरी बुलेटप्रूफ ट्रेन

    बीजिंग। उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन फिर अपनी प्रसिद्ध हरी बुलेटप्रूफ़ ट्रेन में सवार होकर चीन पहुंचे हैं। वह यहां बीजिंग में सैन्य परेड में शामिल होने पहुंचे है। यह परेड दूसरा विश्व युद्ध समाप्त होने की 80वीं वर्षगांठ के मौके पर हो रही है, जिसमें चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन भी शामिल हो रहे है।
    किम जोंग-उन इसके पहले 2023 में ट्रेन पर सवार होकर पुतिन से मिलने मॉस्को गए थे। यह वहीं प्रसिद्ध हरी ट्रेन है जिसका इस्तेमाल उनके पिता किम जोंग इल और दादा किम इल-सुंग भी विदेशी दौरों के लिए करते थे। प्योंगयांग से बीजिंग तक का यह सफर सिर्फ राजनीतिक महत्व का नहीं, बल्कि भौगोलिक और ऐतिहासिक दृष्टि से भी बेहद दिलचस्प है।
    किम जोंग उन की ट्रेन में 20 से अधिक डिब्बे हैं। यह दुनिया की सबसे धीमी ट्रेनों में एक है, जो उत्तर कोरिया की पटरियों पर महज 45 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है,वहीं चीन पहुंचकर उसकी रफ्तार बढ़कर 80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार होती है। इस ट्रेन को प्योंगयांग से बीजिंग तक पहुंचने में 20 घंटे तक का वक्त लग जाता है। उनकी की बीजिंग यात्रा की शुरुआत प्योंगयांग रेलवे स्टेशन से हुई। यह ट्रेन पहले उत्तर कोरिया की प्योंगुई लाइन पर चलती है, जो राजधानी को उत्तर-पश्चिमी सीमा शहर सिनुइजु से जोड़ती है। यही वह बिंदु है, जहां उत्तर कोरिया और चीन की सीमाएं मिलती हैं। सिनुइजु से यह ट्रेन यालू नदी को पार करती है। इस नदी पर बना चीन-उत्तर कोरिया मैत्री पुल दोनों देशों को जोड़ता है। जैसे ही ट्रेन इस पुल को पार करती है, वह चीन के शहर डांडोंग में प्रवेश कर जाती है।
    सीमा पार करने के बाद ट्रेन चीन के लियाओनिंग से गुजरती है। यह इलाका पहाड़ियों, नदी घाटियों और औद्योगिक शहरों से भरा हुआ है। डांडोंग से आगे ट्रेन शेनयांग जैसे बड़े शहरों से होकर निकलती है और फिर धीरे-धीरे उत्तर-पूर्वी चीन की मांचुरिया की पहाड़ी भूमि और औद्योगिक इलाकों को पार करती हुई बीजिंग की ओर बढ़ती है। इस रास्ते में 177 रेल पुल और करीब 5 सुरंगे पड़ती हैं। इसी रेल रूट पर उत्तर कोरिया का सबसे लंबा रेल ब्रिज भी है, जिसकी लंबाई 1200 मीटर से भी अधिक है।
    चलता-फिरता किला है यह ट्रेन
    किम जोंग उन की यह ट्रेन सामान्य नहीं है। यह एक तरह से चलता-फिरता किला है। गहरे हरे रंग की ट्रेन को बुलेटप्रूफ़ कवच से ढका गया है और इसमें आधुनिक संचार प्रणाली, कॉन्फ्रेंस रूम, लक्ज़री सुइट्स और सुरक्षा इंतज़ाम मौजूद रहते हैं। आम तौर पर उनकी इस ट्रेन के डिब्बे तीन हिस्सों में बंटे होते हैं… सबसे आगे सुरक्षा की जांच वाले डिब्बे, बीच में किम जोंग उन के कोच और पीछे उनका सामान ढोने वाले डिब्बे होते है।
    चीन लंबे समय से उत्तर कोरिया का बड़ा मददगार रहा है। अमेरिकी प्रतिबंधों के बीच बीजिंग ही उसकी अर्थव्यवस्था को चलाता रहा है। हाल ही में, किम रूस के भी करीब आए हैं। अमेरिका और दक्षिण कोरियाई अधिकारियों का कहना है कि प्योंगयांग ने यूक्रेन के खिलाफ रूस के युद्ध में अपने हथियार और सैनिक उपलब्ध कराए हैं। अब बीजिंग की परेड में पुतिन और जिनपिंग के साथ किम जोंग उन की मौजूदगी तीनों नेताओं के बीच मजबूत होते संबंधों को दिखाती।

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