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    गाज़ा में इज़राइली हमले में 105 फिलिस्तीनी मारे गए, बच्चों और पत्रकारों की भी मौत

    गाज़ा सिटी। इज़राइल ने गाज़ा सिटी पर मंगलवार को भीषण हमला तेज कर दिया, जिसमें कम से कम 105 फिलिस्तीनियों की मौत हो गई। मारे गए लोगों में 32 लोग वे थे जो मदद पाने के लिए लाइन में खड़े थे, जबकि कई बच्चे और पत्रकार भी इस हमले की चपेट में आ गए। सबसे ज्यादा तबाही अल-सबरा इलाक़े में हुई, जहां कई दिनों से लगातार बमबारी जारी है। गाज़ा प्रशासन का कहना है कि सिर्फ भोजन और पानी लेने निकले लोग भी अब सीधे निशाने पर हैं।

    खान यूनिस के पास अल-मवासी इलाके में, जिसे पहले “सुरक्षित क्षेत्र” घोषित किया गया था, पानी भरने के लिए खड़े 21 लोगों पर ड्रोन से हमला किया गया। इनमें 7 बच्चे शामिल थे। घटनास्थल से मिले वीडियो में खून से सने पानी के डिब्बे और मासूमों के शव दिखाई दिए। फिलिस्तीनी सिविल डिफेंस के प्रवक्ता महमूद बसाल ने कहा की “वे लोग सिर्फ पानी लेने लाइन में खड़े थे, तभी उन पर हमला कर दिया गया। जिंदगी की तलाश अब मौत में बदल गई है।”
    गाज़ा सिटी में अल-अफ़ परिवार के घर पर भी इज़राइली हमला हुआ, जिसमें 10 लोग मारे गए, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे। हमले में दो पत्रकार अल-मनारा के रस्मी सालेम और ईमान अल-ज़ामली की मौत हो गई। अक्टूबर 2023 से अब तक 270 से ज्यादा पत्रकार मारे जा चुके हैं, जिससे यह युद्ध दुनिया का सबसे खतरनाक संघर्ष पत्रकारों के लिए बन गया है।
    इज़राइल की नाकाबंदी के कारण लोग सिर्फ हमलों से ही नहीं, बल्कि भूख से भी मर रहे हैं। पिछले 24 घंटे में 13 लोग भूख से मरे, जबकि युद्ध शुरू होने के बाद अब तक 361 लोग भुखमरी के शिकार हो चुके हैं। इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि युद्ध “निर्णायक चरण” में है और सेना गाज़ा सिटी पर कब्ज़े की तैयारी कर रही है। इस बीच हजारों रिजर्व सैनिकों को बुलाया गया, हालांकि इज़राइली मीडिया के अनुसार 365 सैनिकों ने ड्यूटी पर आने से इनकार कर दिया है।
    बेल्जियम ने मंगलवार को फिलिस्तीन को मान्यता दी और अन्य देशों से भी ऐसा करने की अपील की। फिलिस्तीनी विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह कदम “नरसंहार और जबरन विस्थापन रोकने के लिए ज़रूरी है।” इस बीच यमन के हूती विद्रोहियों ने दावा किया कि उन्होंने इज़राइल के कई ठिकानों और एक कार्गो जहाज़ को ड्रोन और मिसाइल से निशाना बनाया है। गाज़ा प्रशासन ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से मांग की है कि इज़राइल को रोका जाए और इसे “युद्ध अपराध व नरसंहार” घोषित किया जाए।

     

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