राजकीय विद्यालयों में भवन निर्माण और नवाचारों के माध्यम से शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन लाने वाले शिक्षा विभाग के इंजीनियर राजेश लवानिया को नेक कमाई शिक्षा नवाचार पुरस्कार – 2025 से सम्मानित किया गया
मिशनसच न्यूज, अलवर। राजकीय विद्यालयों में भवन निर्माण और नवाचारों के माध्यम से शिक्षा में आमूलचूल परिवर्तन लाने वाले शिक्षा विभाग के इंजीनियर राजेश लवानिया को नेक कमाई शिक्षा नवाचार पुरस्कार – 2025 से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उमरैण पंचायत समिति मुख्यालय पर आयोजित एक कार्यक्रम में प्रदान किया गया।
कार्यक्रम में नेक कमाई फाउंडेशन के संरक्षक दौलत राम हजरती ने कहा कि राजेश लवानिया को शिक्षा क्रांति के जनक के रूप में जाना जाता है। इनके नवाचारों ने न केवल भारत में बल्कि एशिया के कई देशों में शिक्षा के क्षेत्र में मिसाल पेश की है। इसी योगदान के लिए आज इन्हें सम्मानित करना हमारे लिए गर्व की बात है। इस अवसर पर लवानिया को प्रशस्ति पत्र, शॉल और प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया। मुख्य कॉर्डिनेटर अभिषेक तनेजा ने इनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। कार्यक्रम का संचालन आर.पी. अंकुर बैसला ने किया। मंच पर मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी सीमा शर्मा, एसीबीईओ सुनील, अशोक, कमलेश गुरु सहित अनेक अधिकारी व समाजसेवी उपस्थित रहे। आर.पी. गुप्ता, गिरीश कटारिया और पुष्पेंद्र सिंह गुर्जर ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इसी अवसर पर राजेश लवानिया के सेवा-निवृत्ति पर भावभीनी विदाई भी दी गई। राजेश लवानिया का योगदान वर्ष 2008 से अलवर जिले के राजकीय विद्यालयों में बदलाव की लहर की शुरुआत हुई। मोरसराय के एक छोटे से स्कूल से शुरू हुआ यह नवाचार बाद में पूरे जिले और प्रदेश में फैल गया।
चाइल्ड-फ्रेंडली स्कूल मॉडल:
लवानिया ने स्कूलों को आकर्षक बनाने के लिए साफ-सुथरे शौचालय, पेयजल व्यवस्था, रंग-बिरंगे क्लासरूम जैसी मूलभूत सुविधाएं जोड़ीं। नतीजतन, जिन स्कूलों में मुश्किल से 50 बच्चे थे, वहां नामांकन बढ़कर 300 से अधिक हो गया। थीम आधारित भवन निर्माण: रेलवे स्टेशन, हवाई जहाज और क्रूज जैसे थीम वाले स्कूल भवनों ने अलवर को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। बिल्डिंग ऐज़ लर्निंग एड (BALA):दीवारों पर गणितीय सूत्र, विज्ञान मॉडल और भाषा के खेल चित्रित कर स्कूल भवनों को सीखने का साधन बनाया गया। वाटर हार्वेस्टिंग: पानी की किल्लत से जूझते अलवर में 500 से अधिक स्कूलों में रेनवॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया गया। इससे करोड़ों लीटर वर्षा जल संरक्षित हुआ, जिसका उपयोग बागवानी और स्वच्छता में किया जा रहा है। इन प्रयासों ने न केवल सरकारी स्कूलों का कायाकल्प किया बल्कि शिक्षा को मनोरंजक, आकर्षक और टिकाऊ भी बनाया।