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    बीजेपी सरकार का बड़ा फैसला: गाय को मिलेगा राजमाता का दर्जा, सीएम साय ने की घोषणा के संकेत

    छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद समाप्ति की ओर है। अब उसकी कमर टूट गई है और वह अंतिम सांसे ले रहा है। यह प्रभु श्रीराम, हनुमानजी और बागेश्वर बाबा के आशीर्वाद से ही संभव हो पा रहा है। गौ माता के विषय में पिछले दिनों बाबा ने कहा कि तहसील स्तर पर पांच-पांच हजार गोठान बना दिया जाए। इस पर मैं उन्हें भरोसा दिलाता हूं कि जिस प्रकार से महाराष्ट्र में गाय को गौमाता का दर्जा दिया गया है, उसी प्रकार छत्तीसगढ़ में भी जल्द ही गाय को राजमाता कर दर्जा देंगे। कैबिनेट में चर्चा कर इसके लिए जो भी प्रक्रिया है, उसे पूरा कर जल्द ही इस संबंध में घोषणा की जाएगी। ये बातें छत्तीसगढ़ के मुखिया सीएम विष्णुदेव साय ने समाजसेवी चंदन-बसंत अग्रवाल के नेतृत्व में अवधपुरी मैदान गुढ़ियारी रायपुर में आयोजित हनुमंत कथा के पांचवें दिन कहीं। 

    उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में सनातन धर्मप्रेमियों का ध्वज लहरार रहे बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पूज्य पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का छत्तीसगढ़ की पावनधरा पर वे उनका स्वागत करते हैं। आज छत्तीसगढ़ के लिए बड़ा सौभाग्य का विषय है कि छत्तीसगढ़ जो माता कौशल्या का मायका है और प्रभू श्रीराम का ननिहाल है, माता शबरी की ये धरती है और ऐसे पावन धरती में महाराश्री का चरण पड़ा है मैं पूरे छत्तीसगढ़ की तीन करोड़ जनता की ओर से नमन करता हूं। उनका बराबर आर्शीवाद छत्तीसगढ़ को मिला है इसके लिए वे उनके आभारी है।

    बिच्छु के पास जहर होता है पर महात्माओं के पास भजन और तप
    कथा विश्रांति के अवसर पर बागेश्वर धाम पीठाधीश्वर पं. धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि वे टाइम के तो पक्के हैं और तीन बजे पहुंच गए थे लेकिन आप लोगों की घड़ी में 5 बज गए होंगे क्योंकि आज संघ का शताब्दी वर्ष था तो संघ परिवार के सदस्य पहुंचे हुए थे और उनसे मुलाकात करते-करते हुए समय कैसे बीत गया पता ही नहीं चला। इस दौरान बैठक हुई जिसमें पंच परिवर्तन पर चर्चा की गई। जब नेता बिजी हो जाते हैं तो वह अपने पीए को भेजते है कि हम नहीं आ रहे हैं, आप चले जाओ, उसी प्रकार जब परमात्मा नहीं आते हैं तो महात्माओं को भेज देते हैं।  अभी हमें बस्तर जाना है क्योंकि नक्सलियों का बिस्तर तो बंध गया है अब धर्म विरोधियों का भी बिस्तर बांधना है। बिच्छु के पास जहर होता है लेकिन महात्माओं के पास भजन और तप। 

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