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    ग्लोबल डिमांड में कमी से भारत का निर्यात घटने के आसार, वैकल्पिक बाजारों की होगी तलाश

    व्यापार: अमेरिका के 50 फीसदी उच्च टैरिफ के कारण चालू वित्त वर्ष 2025-26 की दिसंबर तिमाही में भारत के वस्तु निर्यात में भारी गिरावट आ सकती है। इस नुकसान से बचने के लिए भारत को निकट भविष्य में वैकल्पिक बाजारों की तलाश करनी होगी।

    सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकनॉमी (सीएमआईई) की रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक अनिश्चितता और अन्य बाहरी चुनौतियों के कारण भारत निर्यात के मोर्चे पर दो वर्षों से दबाव झेल रहा है। ट्रंप सरकार के शटडाउन से स्थिति और गंभीर हो सकती है, क्योंकि अमेरिका भारत का बड़ा व्यापारिक साझेदार है। अगर भारत निकट भविष्य में वैकल्पिक बाजार नहीं तलाशता है, तो उसके निर्यात में दिसंबर तिमाही में पांच फीसदी की गिरावट आ सकती है, जो 103.3 अरब डॉलर के बराबर होगी।

    वित्त वर्ष 2023-24 में भारत के निर्यात में करीब तीन फीसदी की गिरावट आई थी, जबकि 2024-25 में यह लगभग स्थिर रहा। चालू वित्त वर्ष 2025-26 की अप्रैल-अगस्त अवधि में भारत से निर्यात में 2.3 फीसदी की मामूली वृद्धि दर्ज की गई। इस दौरान अमेरिका को 18 फीसदी ज्यादा निर्यात किया गया।

    चीन के साथ व्यापार बढ़ाने की आवश्यकता
    दिलचस्प बात है कि 2025-26 की अप्रैल-अगस्त अवधि के दौरान भारत से चीन और हांगकांग को होने वाले निर्यात में सालाना आधार पर क्रमश: 19.6 फीसदी एवं 26.3 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। नीति आयोग के सीईओ ने हाल ही में कहा था कि भारत को चीन के साथ अपना निर्यात बढ़ाने की जररूत है। हालांकि, विविधीकरण के किसी भी उपाय से अमेरिका को होने वाले निर्यात में अनुमानित गिरावट की भरपाई संभव नहीं है। भारत के कुल निर्यात का पांचवां हिस्सा अमेरिका को भेजा जाता है, जो अन्य देशों की तुलना में काफी ज्यादा है।

    इलेक्ट्रॉनिक्स-फार्मा कर सकते हैं नुकसान की भरपाई
    रत्न-आभूषण, कपड़ा और समुद्री उत्पादों के निर्यात पर सर्वाधिक असर पड़ने की आशंका है। मशीनरी एवं उपकरण, परिवहन उपकरण, जैविक/कृषि रसायन, चमड़ा और प्लास्टिक सहित अन्य क्षेत्रों पर भी काफी असर पड़ सकता है। इनके अलावा, वैश्विक बाजार में कीमतों में गिरावट के कारण दिसंबर तिमाही में पेट्रोलियम निर्यात भी घट सकता है।

    निर्यात में कुल गिरावट की भरपाई दो प्रमुख क्षेत्रों इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मास्यूटिकल्स के जरिये आंशिक रूप से की जा सकती है। इन क्षेत्रों के निर्यात के मोर्चे पर अच्छा प्रदर्शन करने की उम्मीद है।

    20.9 फीसदी घट सकता है रत्न-आभूषण निर्यात
    सीएमआईई का आकलन है कि दिसंबर तिमाही में भारत से रत्न एवं आभूषण का निर्यात सालाना आधार पर 20.9 फीसदी घटकर 5.9 अरब डॉलर रह सकता है। सितंबर तिमाही में इसमें पांच फीसदी गिरावट की आशंका है। गंभीर बात है कि यह क्षेत्र पिछले तीन वर्षों से निर्यात में गिरावट झेल रहा है।

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