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    मालवा के फूलों से सजती है पूरे देश की दिवाली, हफ्ते भर में हो जाता है करोड़ों का कारोबार

    उज्जैन: त्योहारी सीजन में फूलों की खूब डिमांड रहती है. घरों को सजाने के साथ-साथ मंदिरों में भगवान की पूजा के लिए ताजे फूलों की जरूरत पड़ती है. एमपी के मालवा क्षेत्र में बड़े स्तर पर फूलों की खेती होती है और उज्जैन में सबसे बड़ी फूलों की मंडी है. यहां इन दिनों प्रतिदिन 300-400 टन फूल देश के अलग-अलग हिस्सों जैसे राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, जम्मू कश्मीर सहित देश के अन्य राज्यों में भेजे जा रहे हैं. सबसे ज्यादा डिमांड गेंदा के फूल की होती है जो अलग-अलग रंगों में मिल जाता है. इस आर्टिकल में विभिन्न प्रकार के फूलों के मंडी तक आने और फिर उसकी पैकिंग और देश के विभिन्न हिस्सों में सप्लाई की पूरी प्रक्रिया को जानेंगे.

    70 साल से चल रही है उज्जैन की फूल मंडी

    उज्जैन शहर के दूधतलाई, इंदौर गेट पर फूलों की विशाल मंडी है. यहीं पर मालवा क्षेत्र के लगभग सभी किसान अपने फूल बेचने आते हैं. मंडी अध्यक्ष कैलाश चंद्र सोलंकी उर्फ गजा दादा बताते हैं कि "लगभग 70 सालों से ये मंडी संचालित है. मालवा क्षेत्र में लगभग 300 किसान बड़े स्तर पर फूलों की खेती करते हैं.

    सभी किसान इसी मंडी में अपने फूल बेचने आते हैं. त्योहारी सीजन में किसान रात में ही गाड़ियों से फूल लेकर पहुंच जाते हैं. मंडी सुबह करीब 5 बजे खुलती है और 12 बजे तक किसान व्यापारियों को अपना फूल बेचकर चले जाते हैं. यहां लगभग 30 व्यापारी हैं जो फूलों की खरीद-बेच का काम करते हैं. सारा काम होलसेल में होता है."

    3 दिन तक खराब नहीं होते मालवा के फूल

    व्यापारी नंद लाल बारोड ने बताया कि "हम यहां 1980 से व्यापारी का काम कर रहे हैं. हमारा पूरा परिवार फूलों के व्यापार में है. फूलों की खेती करने वाले मालवा के हजारों किसान हमारे संपर्क में हैं. हम देशभर में होलसेल में सप्लाई करते हैं. इसमें हम पैकेजिंग और ट्रांसपोर्ट में होने वाले खर्च का अलग से चार्ज करते हैं." व्यापारी गोपाल बारोड ने बताया कि "दीपावली के समय यहां से प्रतिदिन 300 टन फूल बाहर जाता है.

    इसके अलावा सामान्य दिनों में ये मात्रा 5 टन से लेकर 17 टन तक रहती है. देश के किसी भी कोने में हम 18 घंटे के अंदर सप्लाई कर देते हैं." व्यापारी मुकेश ने बताया कि "मालवा के फूलों की एक खासियत ये होती है कि ये 3 दिनों तक खराब नहीं होते हैं. इस वजह से हम इसे देश के विभिन्न हिस्सों तक भेज पाते हैं."

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