चेन्नई, । जलवायु परिवर्तन और खेती पर मंडरा रहे संकट को लेकर चेन्नई में एक राज्यस्तरीय सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसमें तमिलनाडु के विभिन्न जिलों के किसान, पर्यावरण प्रेमी, सरकारी अधिकारी और विशेषज्ञ शामिल हुए। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जलपुरुष राजेन्द्र सिंह और पूसा संस्थान, भारत सरकार के अतिरिक्त निदेशक बेनू नाथन मौजूद रहे।
राजेंद्र सिंह ने कहा कि तमिलनाडु में राजस्थान से अधिक वर्षा होती है, फिर भी यहां पानी का संकट है। उन्होंने चेताया कि यदि वर्षा जल का संरक्षण नहीं किया गया तो राज्य की जवानी, पानी और किसानी तीनों पर गंभीर खतरा मंडराएगा। उन्होंने कहा कि नदियाँ मरने की स्थिति में हैं और युवाओं को संगठित होकर इनके पुनर्जीवन का कार्य करना होगा।
उन्होंने बताया कि तरुण भारत संघ ने अलवर, चंबल, मेवात और जैसलमेर में इसलिए सफलता पाई क्योंकि लोगों ने इसे अपना काम माना। तमिलनाडु में केवल अधिकारों की मांग को लेकर आंदोलन हुए हैं, लेकिन जल संरक्षण पर गंभीर प्रयास नहीं हुए हैं।
सम्मेलन में भारत सरकार के अधिकारियों ने कहा कि किसानों की समस्या उत्पादन की नहीं, बल्कि उचित मूल्य न मिलने की है। समाधान के लिए ऐसी फसलों को बढ़ावा देना होगा जिनमें कम जल और खाद की आवश्यकता होती है।
मुख्य वन संरक्षक ने कहा कि जल, जंगल और जमीन के बिना जीवन संभव नहीं है। जलपुरुष राजेन्द्र सिंह ने जिस तरह से इन तीनों के साथ प्रेम और सम्मान का संबंध जोड़ा है, वह जलवायु परिवर्तन से लड़ने का वैश्विक उदाहरण बन चुका है।
पूर्व मंत्री थंगम ने किसानों को कार्बन क्रेडिट पर ध्यान देने का सुझाव दिया और कहा कि यही किसानों के लिए समृद्धि का नया मार्ग बन सकता है। एडवोकेट गुरु स्वामी ने कहा कि अब किसानों को संगठित होकर अपने सवालों के समाधान स्वयं खोजने होंगे।
कार्यक्रम के अंत में तरुण भारत संघ के स्वर्ण जयंती वर्ष पर संस्था को ‘बागी से किसानी’, मेवात में महिलाओं की भागीदारी और जैसलमेर की मरू भूमि को पानीदार बनाने हेतु सम्मानित किया गया।