महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा उलटफेर : जयश्री पाटिल ने थामा भाजपा का दामन

महाराष्ट्र के सांगली में कांग्रेस को लगा झटका, जयश्री पाटिल भाजपा में हुईं शामिल
महाराष्ट्र के सांगली में कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. वसंतदादा पाटिल परिवार से जुड़ी और कांग्रेस के दिग्गज नेता मदन पाटिल की पत्नी जयश्री पाटिल बुधवार को भाजपा में शामिल हो गईं. विधानसभा चुनाव में बागी रहीं जयश्री पाटिल के भाजपा में शामिल होने से सांगली की राजनीति में भाजपा को मजबूती मिली है. महाराष्ट्र के सांगली में वसंतदादा पाटिल परिवार का एक बड़ा समूह आखिरकार भाजपा में शामिल हो गया है. विधानसभा चुनाव में बागी होकर सांगली जिला केंद्रीय सहकारी बैंक की उपाध्यक्ष जयश्री पाटिल भाजपा में शामिल हो गईं. इससे सांगली की राजनीति में भाजपा को मजबूती मिली है और कांग्रेस के गढ़ रहे दादा परिवार से एक बड़ा समूह पार्टी में शामिल हो गया है. जयश्री पाटिल वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री स्वर्गीय मदन पाटिल की पत्नी हैं. उच्च एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटिल ने इससे पहले जयश्री पाटिल से उनके निवास पर मुलाकात की थी. उसके बाद जयश्री पाटिल बुधवार को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, महाराष्ट्र बीजेपी प्रमुख चंद्रशेखर बावनकुले और अन्य नेताओं की उपस्थिति में भाजपा में शामिल हुईं.

विधानसभा में टिकट नहीं मिलने से थीं नाराज
जयश्री पाटिल को विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं दिया गया था. उन्होंने बगावत करते हुए निर्दलीय चुनाव लड़ा था. इसके बाद कांग्रेस ने उन्हें निलंबित कर दिया था. इसके बाद उन्होंने अलग राजनीतिक राह अपनाने का फैसला किया. कुछ दिन पहले उन्होंने कार्यकर्ताओं की राय मांगी थी. उन्हें भाजपा और एनसीपी से ऑफर मिले थे. आखिरकार उन्होंने भाजपा में शामिल होने का फैसला किया. सांगली विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस ने अब तक 16 चुनाव जीते हैं. इनमें से पांच चुनाव वसंतदादा पाटिल की मदद से जीते. 1980 में इंदिरा गांधी के आग्रह पर वसंतदादा पाटिल ने खुद चुनाव लड़ा था. उसके बाद वसंतदादा पाटिल के परिवार के सदस्यों ने लगातार दस चुनाव लड़े और जीते. वसंतदादा पाटिल के साथ-साथ शालिनीताई पाटिल, प्रकाश बापू पाटिल, मदन पाटिल, प्रतीक पाटिल और विशाल पाटिल अब तक लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं.

सांगली चुनाव में वसंतदादा परिवार का दबदबा
2009 में प्रतीक पाटिल के जीतने के बाद उन्हें केंद्रीय मंत्रिमंडल में राज्य मंत्री बनाया गया. हालांकि, 2014 के चुनाव में प्रतीक पाटिल हार गए. उसके बाद 2019 में विशाल पाटिल को कांग्रेस ने लोकसभा का उम्मीदवार नहीं बनाया. सांगली सीट शेतकरी संगठन के लिए छोड़ दी गई. विशाल पाटिल ने 2019 का लोकसभा चुनाव लड़ा. हालांकि, इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को महागठबंधन से सीट नहीं मिली. इस वजह से विशाल पाटिल ने बगावत कर दी और निर्दलीय सांसद चुने गए.

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