भीलवाड़ा के जल स्रोतों को लेकर जताई गहरी चिंता, अगली सुनवाई 28 जुलाई को
भीलवाड़ा। गांधी सागर तालाब में बढ़ते प्रदूषण, अतिक्रमण और अनुपचारित सीवेज के निस्तारण को लेकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने भीलवाड़ा नगर निगम पर सख्त रुख अपनाया है। एनजीटी सेंट्रल जोनल बेंच भोपाल ने नगर निगम आयुक्त सहित संबंधित अधिकारियों को व्यक्तिगत शपथ-पत्र दाखिल करने और वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अगली सुनवाई में उपस्थित रहने के निर्देश दिए हैं।
यह आदेश न्यायमूर्ति शिव कुमार सिंह एवं विशेषज्ञ सदस्य डॉ. अफरोज अहमद की पीठ ने पर्यावरणविद् बाबूलाल जाजू द्वारा अधिवक्ता लोकेन्द्र सिंह कच्छावा के माध्यम से दाखिल जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया।
गंभीर प्रदूषण की स्थिति उजागर
याचिका में कहा गया है कि एनजीटी द्वारा गठित निरीक्षण समिति ने गांधी सागर तालाब का निरीक्षण कर रिपोर्ट प्रस्तुत की। रिपोर्ट के अनुसार,
तालाब में जाने वाला चौड़ा नाला प्लास्टिक और ठोस कचरे से भरा हुआ पाया गया।
तालाब की सतह पर खरपतवार और कचरे की मोटी परत तैरती मिली।
चार में से केवल एक फव्वारा चालू पाया गया।
भीलवाड़ा शहर से प्रतिदिन 60 एमएलडी सीवेज उत्पन्न होता है, जबकि केवल 10 एमएलडी क्षमता का सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) ही चालू स्थिति में है।
नगर निगम पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अवहेलना का आरोप
याचिकाकर्ता जाजू ने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट दिशा-निर्देशों के बावजूद भीलवाड़ा नगर निगम ठोस कचरा प्रबंधन एवं निपटान प्रणाली को लागू करने में विफल रहा है।
NGT ने दिए युद्ध स्तर पर कार्रवाई के निर्देश
पीठ ने निर्देश दिया कि गांधी सागर तालाब की सफाई, गंदे नालों को बंद करना, और अनुपचारित जल के प्रवाह को रोकने के लिए युद्ध स्तर पर कार्रवाई की जाए। साथ ही, एसटीपी के संचालन और रखरखाव की नियमित निगरानी पर जोर दिया गया। पीठ ने कहा कि जल स्रोतों का प्रदूषण न केवल मानव स्वास्थ्य बल्कि जैव विविधता के लिए भी गंभीर संकट है।
मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई 2025 को निर्धारित की गई है।