अलवर. देश दुनिया की फ़िजाओं में बसी कहानियां अब तस्वीरों के ज़रिए बोलने लगी हैं। कारण है कि अलवर के ख्यातनाम फोटोग्राफर अनिल गाबा ने कैमरे की आंख से देश ही नहीं विदेशों की खूबसूरती, जज़्बात और जिंदगी के अनदेखे पहलुओं को कैद किया है। उनकी फोटोग्राफी न सिर्फ देखने वालों को हैरान करती है, बल्कि हर फोटो अपने आप में एक कहानी कहती है। अनिल गाबा ने फोटोग्राफी की दुनिया में अलवर को नई पहचान दी है। उनकी कला में बसी ये जादूई झलकियां दिल को छू जाती हैं।
फोटाग्राफर अनिल गाबा ने बताया कि उन्होंंने सेना, एनएसजी, बीएसएफ, सीआरपीएफ, सीआइएसएफ, मद्रास रेजिमेंट सहित अन्य सरकारी एजेंसियों को भी फोटोग्राफी की ट्रेनिंग दी है। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान सेना के जवानों को कैमरा इक्विपमेंट स्किल सहित फोटोग्राफी की अन्य तकनीकी जानकारी दी। इस टेनिंग को सेना के अधिकारियों ने सराहा और खुद भी इसमें शामिल हुए। उन्होंने बताया कि हाल ही उन्हें एयर फोर्स के लिए काम किया है, साथ ही मद्रास रेजिमेंट के लिए काफी टेबल बुक के लिए फोटोग्राफ क्लिक किए हैं।
फोटोग्राफी पेशा नहीं, साधना
गाबा का कहना है कि फोटोग्राफी मेरे लिए पेशा नहीं, बल्कि एक साधना है। उन्होंने फोटाग्राफी की शुरुआत 1977 से की। उनके पास आज भी करीब 50 साल पुराना लैंस है, जिससे वे आज भी खूबसूरत फोटोग्राफस लेते हैं। उनका मानना है कि आज ऐसे लैंस शायद ही मिल पाते हैं। गाबा ने बताया कि उन्होंने भारत के अलावा करीब 40 देशों में फोटोग्राफी का काम किया और 40 लाख से ज्यादा पिक्चर लिए हैं।
फोटोग्राफी से दी सरिस्का को उंचाई
अनिल गाबा ने बताया कि अलवर से उनका विशेष जुड़ाव रहा है। उन्होंने अलवर पर्यटन की लाइफ लाइन सरिस्का को करीब से देखा। उन्होंने सरिस्का की बाघ विहिन होने के दौरान वीरान हालातों को पिक्चर में कैद किया, वहीं बाघों से आबाद होने के बाद सरिस्का के कई टाइगरों की फोटो को अपने कैमरे से शूट किया।
देश— विदेशों में छोड़ी फोटोग्राफी की छाप
अनिल गाबा ने बताया कि अब तक भारत के अलावा करीब 40 अन्य देशों में भ्रमण कर फोटोग्राफी कर चुके हैं। इनमें सबसे ज्यादा फोटोग्राफी कनाड़ा, भूटान, नेपाल, श्रीलंका सहित अन्य देशों में की। उन्होंने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गुडविल मिशन के तहत पाकिस्तान भेजा, वहां उन्होंने कई बेहतरीन फोटोग्राफ क्लिक किए।
युदधभ्यास की फोटोग्राफी का रहा शौक
अनिल गाबा ने बताया कि उनकी फोटोग्राफिक यात्रा एक सामान्य कैमरे से शुरू हुई थी, उस दौरान वे एनसीसी में फोटोग्राफी करते थे। इसी दौरान उनकी फोटोग्राफी को एनसीसी के बड़े अफसरों ने खूब सराहा, जिससे उनका लगाव फोटोग्राफी की ओर बढ़ता चला गया। आज वक्त के साथ उन्होंने तकनीक और रचनात्मकता के चलते फोटोग्राफी को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया। उन्होंने बताया कि वे वाइल्डलाइफ फोटोग्राफी, वालीवुड, सेना के युदधभ्यास, पर्यटन, पैलेस आन व्हील की फोटोग्राफी कर चुके हैं।
बेहतरीन फोटोग्राफी के लिए मिला राष्टपति अवार्ड
अनिल गाबा ने बताया कि फोटोग्राफी के लिए उन्हें विभिन्न मंचों पर अवार्ड दिए गए। उन्होंने बताया कि राजस्थान सरकार के लिए की गई फोटोग्राफी की काफी सराहना भी हुई, जिसके उन्हें राष्टपति पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा एनसीसी के मेजर जनरल अवार्ड सहित विदेशों में भी कई अवार्ड दिए गए।
माइनस 50 डिग्री तापमान में कर चुके फोटोग्राफी
अनिल गाबा का कहना है कि उनका सेना के साथ लगाव रहा है, वे 13 साल तक एनसीसी कैडेटस रहे। सेना के लगाव के चलते वे अक्सर सेना के लिए फोटोग्राफी करते रहते हैं। वे रेगिस्तान में 50 डिग्री से ज्यादा तापमान में होने वाले युदधाभ्यास हो या लेह लददाख के माइनस 50 डिग्री से नीचे तापमान में होने वाले युदधाभ्यास के अदभुत नजारों को अपने कैमरे में कैद कर चुके हैं। उन्होंने बताया कि मद्रास के कोयम्बटूर में वेलेंटन व उटी के जंगलों में 6 से 7 हजार फीट की उंचाई पर आठ दिनों तक सेना के जवानों के साथ रहे और युदधाभ्यास के अदभुत नजारे कैमरे में कैद किए। इसके अलावा वे करीब 26 बार लददाख में सेना के साथ फोटोग्राफी कर चुके हैं। साथ ही चाइना बॉर्डर पर चिसूल व कारगिल पर भी फोटोग्राफी कर चुके हैं, यहां बर्फीली वादियों में तापमान माइनस में काफी कम होता है।
कई राजनेताओं को किया कैमरे में कैद
फोटोग्राफी में नाम कमा चुके अनिल गाबा ने बताया कि वे अब तक कई राजनीतिक हस्तियों की फोटोग्राफी भी कर चुके हैं, इनमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में फोटो क्लिक की। इसके अलावा कांग्रेस की पूर्व राष्टीय अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व उप राष्टपति भैंरोसिंह शेखावत, नजमा हैपतुल्लाह, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, वसुंधरा राजे, एन बीरेन सिंह, िफल्म अभिनेता और कांग्रेस नेता सुनील दत्त सहित अन्य नेताओं की फोटो अपने कैमरे से शूट की।