अलवर जिले के परवैनी गांव के अरिहंत जैन ने बिना कोचिंग और शहरी माहौल के आरएएस भर्ती 2023 में 81वीं रैंक हासिल की है। गांव में रहकर की तैयारी और आत्मविश्वास ने उन्हें सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
मिशनसच न्यूज, अलवर। कहते हैं अगर मन में ठान लो तो सफलता की कोई सीमा नहीं होती।
अलवर जिले के छोटे से गांव परवैनी के रहने वाले अरिहंत जैन ने इसे सच कर दिखाया है। बिना कोचिंग और शहरी माहौल के, गांव की सादगी में रहकर उन्होंने राजस्थान प्रशासनिक सेवा (आरएएस) भर्ती 2023 में 81वीं रैंक हासिल की है।
बुधवार रात जैसे ही आरएएस परीक्षा का फाइनल परिणाम जारी हुआ, जयपुर में मौजूद अरिहंत के फोन पर बधाई संदेशों की बाढ़ आ गई। उनकी मां इंद्रा जैन और पिता जैनेंद्र जैन, दोनों गांव में शिक्षक हैं। बेटे की इस सफलता से उनका गर्व छलक उठा। उन्होंने कहा — “हमें तुम पर गर्व है।”
“टास्क बेस्ड तैयारी ने दी सफलता”
अरिहंत बताते हैं कि उन्होंने कभी “घंटों” के हिसाब से नहीं पढ़ा, बल्कि “टास्क बेस्ड” तैयारी की। हर दिन एक ठोस लक्ष्य तय किया और उसे पूरा किए बिना दिन खत्म नहीं किया।
वे कहते हैं — “मैंने अपनी सीमाओं में रहकर तैयारी की। अधिकतर समय गांव में ही पढ़ा, लेकिन पढ़ाई की गुणवत्ता और निरंतरता पर कभी समझौता नहीं किया।”
यह उनका दूसरा प्रयास था। 2021 की आरएएस परीक्षा में वे इंटरव्यू तक पहुंचे थे लेकिन चयन नहीं हो पाया। असफलता से टूटने के बजाय उन्होंने आत्ममंथन किया और अपनी कमजोरियों पर काम किया। नतीजा — इस बार सफलता उनके कदमों में थी।
माता-पिता और गांव से गहरा जुड़ाव
अरिहंत का परिवार संयुक्त है और सभी सदस्य गांव में ही रहते हैं। उनके छोटे भाई ने एमबीबीएस किया है। अरिहंत खुद रामचंद्रपुरा के सरकारी स्कूल में ग्रेड-III शिक्षक हैं।
वे कहते हैं — “नौकरी कभी बाधक नहीं बनी। छुट्टियों में जयपुर जाकर बापू नगर स्थित प्राग्य होस्टल में रहकर पढ़ाई करता था। होस्टल और दोस्तों का सहयोग मेरी तैयारी का अहम हिस्सा रहा।”
“असफलता से सीखो, निराश मत हो”
पहले प्रयास में इंटरव्यू में रह जाने के बाद भी अरिहंत ने हार नहीं मानी।
वे कहते हैं — “मम्मी-पापा ने हमेशा यही कहा कि कर्म करते रहो, परिणाम अपने आप आएगा। जब आप ईमानदारी से मेहनत करते हैं तो एक दिन सफलता मिलती ही है।”
उन्होंने असफलता के बाद आत्मविश्लेषण किया और वही सुधार उनकी दूसरी कोशिश में काम आया।
“गांव में रहना सफलता में बाधा नहीं”
अरिहंत का मानना है कि आज के समय में गांव में रहकर भी कोई भी छात्र सफलता हासिल कर सकता है।
वे कहते हैं — “ऑनलाइन स्टडी मटेरियल बहुत उपलब्ध है। बस सही दिशा और अच्छा ग्रुप जरूरी है। थोड़ी-सी नेगेटिविटी भी आपको विचलित कर सकती है, इसलिए पॉजिटिव माहौल बनाना जरूरी है।”
मार्गदर्शन और प्रेरणा
अपनी सफलता का श्रेय अरिहंत ने अपने मेंटर्स — आरपीएस अंकित जैन और जिला समाज कल्याण अधिकारी दिवाकर जैन — को दिया है।
वे कहते हैं — “दोनों ने मुझे यह समझाया कि आरएएस जैसी परीक्षा को कैसे रणनीतिक तरीके से पास किया जा सकता है।”
प्रेरणा की मिसाल
अरिहंत की कहानी उन युवाओं के लिए प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों में भी बड़ा सपना देखते हैं।
गांव की मिट्टी से उठकर, आत्मविश्वास और अनुशासन के बल पर उन्होंने यह दिखाया है कि “सफलता के लिए साधन नहीं, संकल्प चाहिए।”
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