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    अलवर में शुरू हुआ कल्पद्रुम विधान

     

    जिनेन्द्र भक्ति में झूमे श्रद्धालु, विधान में उपाध्याय विज्ञानन्द महाराज ने दिया शुभ संदेश

    मिशनसच न्यूज, अलवर। जैन धर्म के धार्मिक आयोजनों में कल्पद्रुम विधान का विशेष महत्व माना जाता है। इसी कड़ी में सोमवार को अलवर की ऐतिहासिक धरा पर पहली बार इस भव्य विधान का आयोजन हुआ। जैन नसिया जी स्थित जैन वाटिका में आयोजित इस कार्यक्रम में दिगम्बर जैनाचार्य वसुनन्दी महाराज के शिष्य, उपाध्याय विज्ञानन्द महाराज ससंघ के सान्निध्य में श्रद्धालु जिनेन्द्र भक्ति में सराबोर हो उठे। करीब चार घंटे तक चले इस आयोजन में वातावरण मंत्रोच्चार, स्तुति और भक्ति गीतों से गूंजता रहा।

    अभिषेक और शांतिधारा के साथ हुआ शुभारंभ

    कार्यक्रम की शुरुआत प्रातःकाल श्रीजी के अभिषेक और शांतिधारा से हुई। इसके पश्चात नित्य नियम पूजन संपन्न हुआ। तत्पश्चात आचार्य वसुनन्दी महाराज द्वारा रचित कल्पद्रुम महामण्डल विधान का विधिवत आरंभ हुआ। जैन पत्रकार महासंघ अलवर के जिला संयोजक हरीश जैन ने बताया कि विधान के दौरान 24 तीर्थंकरों के अर्घ्य चढ़ाए गए।

    विशेष रूप से निर्मित 25 समोशरण मंडलों पर विराजमान श्रद्धालुओं ने विधि-विधान से अर्घ्य समर्पित किए। वहीं अन्य श्रद्धालुओं ने भी पूजन थालियों में अर्घ्य अर्पित कर अपनी सहभागिता निभाई।

    श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

    अलवर की धरती पर पहली बार आयोजित इस विधान में नगर ही नहीं, आसपास के क्षेत्रों से भी श्रद्धालुओं की बड़ी संख्या में भागीदारी रही। सुबह से ही जैन वाटिका परिसर श्रद्धालुओं से खचाखच भरा रहा। चारों ओर भक्ति गीतों की स्वर लहरियों और जयकारों से वातावरण भावमय बना रहा। श्रद्धालुओं ने मंडलों की परिक्रमा की और सामूहिक भक्ति में लीन होकर जिनेन्द्र भगवान का गुणगान किया।

    विज्ञानन्द महाराज का संदेश – “सबके मंगल की सोच रखो”

    कार्यक्रम के मुख्य आकर्षण रहे उपाध्याय विज्ञानन्द महाराज ने अपने प्रवचनों में जीवन में शुभ और मंगल की महत्ता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा –
    “मनुष्य अपने घर-द्वार पर ‘शुभ-लाभ’ लिखता है, शुभ कार्यों की बातें करता है, परंतु वास्तविक शुभ तभी संभव है जब हम धर्म से जुड़े और सद्कर्म करें। केवल स्वयं के लिए नहीं, बल्कि सबके लिए शुभ सोचना ही सच्ची भक्ति है। धर्म के साथ जुड़े रहने का सबसे बड़ा माध्यम ऐसे ही विधान हैं, जो हमें सामूहिक भक्ति और मंगल भावनाओं से जोड़ते हैं।”

    उन्होंने आगे कहा कि जीवन में शुभ को साथी बनाओ, तभी मंगल की प्राप्ति होगी।

    पाद प्रक्षालन और सम्मान

    विधान से पूर्व उपाध्याय विज्ञानन्द महाराज का पाद प्रक्षालन किया गया। इस अवसर पर श्री चन्द्रप्रभु दिगम्बर जैन पंचायती मंदिर, मुंशी बाजार के अध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद जैन सहित अनेक गणमान्य जैन समाज के पदाधिकारी उपस्थित रहे। उन्होंने उपाध्याय श्री को श्रीफल भेंट कर आशीर्वाद लिया।

    जोशीला संचालन और समाज की सहभागिता

    पूरे कार्यक्रम का संचालन चातुर्मास समिति के संयोजक पवन जैन चौधरी ने बड़े उत्साह और भक्ति भाव से किया। विधान के दौरान अनेक जैन समाज संगठनों और समितियों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहे, जिन्होंने आयोजन को सफल बनाने में सहयोग दिया।

    पहली बार अलवर में हुआ आयोजन

    यह पहला अवसर था जब अलवर में कल्पद्रुम विधान का आयोजन हुआ। श्रद्धालुओं के अनुसार इस विधान ने नगर के धार्मिक वातावरण को नई दिशा दी है और सामूहिक भक्ति का अवसर प्रदान किया है। कई श्रद्धालुओं ने कहा कि ऐसे आयोजनों से समाज में एकता और धर्म के प्रति निष्ठा बढ़ती है।

    चार घंटे तक चले इस आयोजन के अंत में श्रद्धालुओं ने सामूहिक प्रार्थना की और सबके मंगल की भावना व्यक्त की। अलवर में इस प्रकार का पहला आयोजन होने के कारण इसे ऐतिहासिक स्वरूप मिला। श्रद्धालु भाव-विभोर होकर लौटे और अगली बार भी ऐसे ही आयोजनों के प्रति अपनी गहरी आस्था प्रकट की।

     

     

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