गर्मियों में बाघों का बदल जाता है स्वभाव, पेट्रोलिंग करते वक्त कर सकते हैं हमला

अलवर. गर्मी के मौसम में आमजन की दैनिक गतिविधि ही नहीं वन्यजीवों का स्वभाव भी बदल जाता है। इस कारण वन कर्मियों को बाघों की पेट्रोलिंग करना आसान नहीं होता। गर्मी से बचाव के लिए बाघ दिन के समय झाड़ियों में आराम करते हैं, ऐसे में मॉनिटरिंग करते समय वनकर्मियों के झाड़ियों के पास जाने पर वे हमला भी कर सकते हैं। इस कारण सरिस्का प्रशासन ने गर्मियों में बाघों की पेट्रोलिंग के दौरान वनकर्मियों के लिए हिदायत जारी की है।

सरिस्का के डीएफओ अभिमन्यु सहारण ने बताया कि वनकर्मियों की सुरक्षा को लेकर सरिस्का विभाग गंभीर है। सभी वनकर्मियों को निर्देश दिए गए हैं कि गर्मी के दिनों में बाघों की पेट्रोलिंग करते बेहद सावधानी बरतें। इसी को लेकर सभी वनकर्मियों को अलर्ट किया गया है। उन्होंने बताया कि गर्मी में बाघों का स्वभाव बदल रहा है। वह गर्मी से बचने के लिए झाड़ियों में आराम करते हैं। ऐसे में कोई वन कर्मी उनके नजदीक नहीं जाए, अन्यथा बाघ अपने बचाव में हमला भी कर सकते हैं। डीएफओ ने कहा कि सरिस्का टाइगर रिजर्व बड़ा जंगल है। यहां वन्यजीवों की सुरक्षा में 170 से ज्यादा अधिकारी व वनकर्मी लगाए गए हैं। सरिस्का में अभी 48 बाघ— बाघिन व शावक हैं,  उनकी लगातार पेट्रोलिंग करनी होती है। ऐसे में वनकर्मियों को गाड़ी से नीचे बाघों के पगमार्क देखने के लिए भी उतरना पड़ता है। पगमार्क देखते समय वनकर्मियों को सावधानी बरतने के लिए कहा गया है।
डीएफओ सहारण ने कहा कि गर्मी में बाघों की साइटिंग भी कम होती है। गर्मियों में ज्यादातर बाघ तालाब या किसी जल स्रोत में मिलते हैं या फिर किसी घनी झाड़ी में बैठे रहते हैं। इस कारण पेट्रोलिंग करते समय वनकर्मियों को कई बार बाघ दिखाई नहीं देते। वनकर्मी पेट्रोलिंग के दौरान पगमार्क देखते हुए झाड़ी के नजदीक भी पहुंचते हैं, जिससे उन पर बाघों के हमले का खतरा भी बढ़ जाता है। उन्होंने कहा कि सरिस्का के जिस एरिया में बाघिन के शावक हैं, वहां पेट्रोलिंग के दौरान वनकर्मियों के लिए खतरा अधिक होता है।
सरिस्का में बाघों के हमले की अभी नहीं कोई घटना
डीएफओ सहारण ने बताया कि हालांकि गर्मियों में अभी तक सरिस्का में वनकर्मियों पर बाघों के हमले की कोई घटना नहीं हुई है, लेकिन सावधानी बरतना जरूरी है। उन्होंने पर्यटकों से भी सफारी के दौरान सतर्कता बरतने को कहा है।

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