स्वराज विमर्श यात्रा 2025
बगोता, कोलंबिया ।
तरुण भारत संघ के संस्थापक और जलसंरक्षण के प्रतीक जलपुरुष राजेन्द्र सिंह की अगुवाई में स्वराज विमर्श यात्रा 2025 ने एक नया अंतरराष्ट्रीय अध्याय जोड़ा है। यात्रा 2 जून को राजस्थान के भीकमपुरा स्थित तरुण आश्रम से प्रारंभ होकर दिल्ली और न्यूयॉर्क होते हुए 4 जून की सुबह कोलंबिया की राजधानी बगोता पहुँची।
4 जून 2025: पांच मंत्रालयों के साथ संवाद
पहले ही दिन “ट्रुथ एंड पीस कमीशन कोलंबिया” की डिप्टी चेयरमैन ग्लोरिया के साथ कोलंबिया के पाँच मंत्रालयों – पर्यावरण, वन, जल, संस्कृति और शांति – के निदेशक स्तर के अधिकारियों के साथ तीन घंटे की लंबी बैठक हुई। इसमें जलपुरुष ने चंबल घाटी में सामाजिक भागीदारी से हुए शांति और जल पुनर्जीवन के अनुभव साझा किए।
उन्होंने कहा –
“जिस काम को सेना और पुलिस नहीं कर सकी, उसे समाज ने आत्मबोध और संकट की चेतना से स्वयं कर दिखाया। आज 6,000 से अधिक पूर्व बागी खेती कर रहे हैं।”
5 जून 2025: राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो के साथ बैठक
5 जून को कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने जलपुरुष राजेन्द्र सिंह को अपने मंत्रिमंडल के साथ आमंत्रित किया। इस बैठक में कोलंबिया की कम्युनिटी द पाज़ के 15 गाँवों के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।
जलपुरुष ने बताया:
इन गांवों के लोगों ने महात्मा गांधी के सिद्धांतों ‘सत्य और अहिंसा’ पर चलते हुए खनन कंपनियों की हिंसा के विरुद्ध संघर्ष किया है। इन समुदायों ने एक जंगल को “राजेन्द्र सिंह वन” नाम देकर बचाया है।
राष्ट्रपति पेट्रो ने स्वीकारा:
“मैं राष्ट्रपति होकर भी बड़ी ताकतों को नहीं रोक पाया। न्याय प्रणाली और पैरा मिलिट्री ने गरीबों के साथ अन्याय किया है।”
पानी, पर्यावरण और भविष्य की योजना
बातचीत में कोलंबिया की पर्यावरण मंत्री लीना एस्ट्राडा एनोकाज़ी और कोलंबियाई राजनयिक अकादमी के पूर्व निदेशक ने भी जल संकट की गंभीरता को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि देश बाढ़ और सूखे की दोहरी मार झेल रहा है, और पानी का निजीकरण एक गंभीर सामाजिक संकट बन चुका है।
फोकस:
चंबल के मॉडल को कोलंबिया में अपनाने की दिशा में कार्य
समुदायों की भागीदारी पर जोर
जलवायु संकट का जन-संवाद आधारित समाधान
ग्लोरिया जी और तरुण भारत संघ के बीच भविष्य में गरीब किसानों के साथ जल कार्य की संभावनाओं पर सहमति बनी।
निष्कर्ष:
“स्वराज विमर्श यात्रा 2025” न केवल जल संरक्षण का संवाद है, बल्कि यह ग्लोबल साउथ के देशों के लिए सामाजिक न्याय, शांति और पर्यावरणीय स्वराज की ओर एक सार्थक कदम भी है। जलपुरुष राजेन्द्र सिंह जी की यह यात्रा स्थानीय समुदायों को सशक्त करने की मिसाल बनती जा रही है।