अलवर, ।हाल ही में जारी हुई स्वच्छता सर्वेक्षण रिपोर्ट में अलवर शहर को देशभर में 54वीं रैंक दी गई है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि “जल स्रोतों की सफाई” (Cleanliness of Water Bodies) में अलवर को 100 प्रतिशत अंक दिए गए हैं। लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और ही तस्वीर पेश कर रही है।
शहर के दो प्रमुख जल स्रोतों में से एक लालडिग्गी तालाब की स्थिति बेहद चिंताजनक है। तालाब में चारों ओर थर्मोकोल, प्लास्टिक, शराब की बोतलें और अन्य कचरा तैरता देखा जा सकता है। वहीं, सीढ़ियों और किनारों पर घास-फूस और जंगली झाड़ियाँ उगी हुई हैं, जिनकी सफाई का कोई संकेत पिछले एक साल से नहीं दिखता।
रमन सैनी का कहना है कि यह दृश्य साफ तौर पर दर्शाता है कि या तो सर्वेक्षण टीम ने तालाब का निरीक्षण ही नहीं किया, या फिर यह पूरी प्रक्रिया केवल फॉर्मेलिटी बनकर रह गई।
उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या सर्वेक्षण टीम ने वास्तव में इन जल स्रोतों की जांच की थी, या फिर वे केवल महंगे होटलों में बैठकर कागज़ों पर सफाई का आंकलन कर चले गए।
शहरवासियों का कहना है कि वे केवल आलोचना करने के लिए यह मुद्दा नहीं उठा रहे, बल्कि यह शहर के हित और सच्चाई की पैरवी है। अलवर की जनता को इस बात का हक है कि उन्हें साफ-सुथरा और सुरक्षित पर्यावरण मिले, और झूठी रैंकिंग के पीछे छुपी वास्तविकता से पर्दा उठाया जाए।
अब समय आ गया है जब नगर परिषद, जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को धरातल पर काम करना होगा, ताकि सफाई केवल रिपोर्ट कार्ड तक सीमित न रह जाए, बल्कि जनता को उसका वास्तविक लाभ भी मिले।