आरओबी : उच्च स्तरीय संयुक्त समन्वय समिति का गठन करे
मिशनसच न्यूज, भरतपुर। नदबई कस्बे में बन रहा रेलवे ओवरब्रिज (आरओबी) लंबे समय से अधूरा पड़ा है, जिससे कस्बे और आसपास के क्षेत्रों के लोगों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। एक ओर रेलवे विभाग और दूसरी ओर सार्वजनिक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) एक-दूसरे पर आरोप मढ़ रहे हैं, जिसके चलते इस महत्वपूर्ण परियोजना का कार्य अधर में लटका हुआ है।

इसी संदर्भ में समृद्ध भारत अभियान के निदेशक सीताराम गुप्ता ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर हस्तक्षेप करने की मांग की है। उन्होंने आग्रह किया है कि एक उच्च स्तरीय संयुक्त समन्वय समिति का गठन कर रेलवे और पीडब्ल्यूडी के बीच के अवरोधों को दूर किया जाए ताकि निर्माण का कार्य शीघ्र पूरा हो सके।
गुप्ता ने पत्र में स्पष्ट किया कि रेलवे विभाग पीडब्ल्यूडी पर ब्लॉक की अनुमति न लेने का आरोप लगा रहा है, जबकि पीडब्ल्यूडी का कहना है कि रेलवे ने इस संबंध में पत्र ही नहीं लिखा। इस खींचतान का नतीजा यह है कि वर्षों से प्रतीक्षित यह आरओबी आज भी अधूरा खड़ा है।
समस्या का दायरा
वर्तमान में नदबई कस्बे में रेलवे फाटक के जरिए ही लोग लाइन पार कर रहे हैं। फाटक बंद होने पर घंटों तक वाहनों की लंबी कतारें लग जाती हैं। इससे स्कूली बच्चों, कॉलेज छात्रों, व्यापारियों और कामकाजी लोगों को भारी परेशानी होती है। सबसे गंभीर स्थिति तब बनती है जब एम्बुलेंस और अन्य आपातकालीन सेवाओं के वाहन जाम में फंस जाते हैं। इस कारण कई बार मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता और दुर्घटनाओं की संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं।
पत्र में मुख्य मांगें
सीताराम गुप्ता ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि:
रेलवे और पीडब्ल्यूडी के बीच समन्वय के लिए उच्च स्तरीय समिति गठित की जाए।
ब्लॉक प्लान व स्वीकृति शीघ्र जारी की जाए।
समयबद्ध योजना बनाकर कार्य को निर्धारित अवधि में पूरा किया जाए।कार्य प्रगति व गुणवत्ता की निगरानी के लिए विशेषाधिकारी नियुक्त हों।
गुप्ता का कहना है कि आरओबी का निर्माण पूरा होने से न केवल नदबई वासियों को राहत मिलेगी बल्कि आसपास के गांवों और औद्योगिक इकाइयों को भी बाधा रहित आवागमन की सुविधा मिलेगी। साथ ही गिरी गोवर्धन और मथुरा-वृंदावन आने-जाने वाले श्रद्धालुओं का समय भी बचेगा।
पिछली परियोजनाओं से सबक
उन्होंने पत्र में बयाना-रूदावल मार्ग का भी उल्लेख किया, जहां करीब 46 करोड़ रुपये की लागत से 12 वर्षों में आरओबी का निर्माण हुआ। वहां भी निर्माण में देरी और गुणवत्ता संबंधी सवाल खड़े हुए। खनिज परिवहन वाहनों को एक दशक तक परेशानियों का सामना करना पड़ा। कई बार निर्माण एजेंसी बदलनी पड़ी।
यदि इसी प्रकार की सुस्त रफ्तार से काम नदबई आरओबी पर चलता रहा तो आम जनता का विश्वास सरकार की कार्यशैली पर उठना स्वाभाविक है। नदबई का आरओबी केवल एक निर्माण परियोजना नहीं है, बल्कि हजारों लोगों की जीवन-रेखा है। वर्षों से लोग इसकी प्रतीक्षा कर रहे हैं। अब समय आ गया है कि विभागीय खींचतान खत्म हो और मुख्यमंत्री के स्तर पर पहल कर इस कार्य को शीघ्र पूरा कराया जाए।


