पंचमुखी मुक्तिधाम की तर्ज पर उज्जैन के श्मशान स्थलों का होगा हरियालीयुक्त विकास: महापौर मुकेश टटवाल

Announced the development of cremation grounds in Ujjain
Announced the development of cremation grounds in Ujjain

भीलवाड़ा। श्मशान घाट केवल अंतिम यात्रा का पड़ाव नहीं, बल्कि वह स्थल भी हैं जहाँ व्यक्ति की स्मृति, शांति और प्रकृति का मिलन होता है। इसी भाव को आत्मसात करते हुए उज्जैन नगर निगम के महापौर मुकेश टटवाल ने शनिवार को भीलवाड़ा स्थित पंचमुखी और शास्त्रीनगर मुक्तिधाम का दौरा किया और इस प्रेरणादायी प्रयास से सीख लेकर उज्जैन के श्मशान स्थलों के विकास की घोषणा की।

महापौर टटवाल ने पंचमुखी मुक्तिधाम के सुव्यवस्थित ढाँचे, हरियालीयुक्त वातावरण, स्वच्छता और वर्षा जल संरक्षण के उपायों का गहराई से अध्ययन किया और कहा कि उज्जैन में स्थित सभी श्मशान घाटों का विकास भी इसी तर्ज पर किया जाएगा, ताकि वे सिर्फ एक अंतिम संस्कार स्थल नहीं, बल्कि श्रद्धा, पर्यावरण और व्यवस्था का प्रतीक बन सकें।

हरियाली और सुविधा का समन्वय

दौरे के दौरान महापौर के साथ उज्जैन नगर निगम के पार्षदगण, अधिकारीगण और मेयर-इन-काउंसिल सदस्य भी उपस्थित थे। इस अवसर पर पंचमुखी मुक्तिधाम विकास समिति के सचिव बाबूलाल जाजू ने महापौर को बताया कि किस प्रकार एक सामान्य श्मशान को सुनियोजित प्रयासों से पर्यावरण-संवेदनशील स्थल में परिवर्तित किया गया है। उन्होंने बताया कि मुक्तिधाम में हरियाली बनाए रखने हेतु सतत पौधारोपण, ड्रिप सिस्टम से सिंचाई, वर्षाजल का संग्रहण एवं पुनः उपयोग, और श्रृद्धालुओं के बैठने हेतु आधुनिक व्यवस्थाएं की गई हैं।

जाजू ने यह भी बताया कि सामुदायिक सहभागिता और जनसहयोग के माध्यम से यह स्थल आज एक उदाहरण बन चुका है, जहां केवल विदाई नहीं, बल्कि पर्यावरणीय पुनर्नवा का भी भाव है।

महापौर ने किया रुद्राक्ष का पौधारोपण

पंचमुखी मुक्तिधाम में दौरे के दौरान महापौर टटवाल ने रुद्राक्ष का पौधा भी रोपा, जो प्रतीक है श्रद्धा, शांति और हरियाली के समन्वय का। इस भावपूर्ण क्षण में समिति के महासचिव लक्ष्मीनारायण डाड, कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल, तथा अन्य सदस्य कृष्णगोपाल जाखेटिया, दलपत डांगी, सत्यनारायण खोईवाल, मोहनलाल कसारा आदि ने टटवाल का शॉल, खादी की माला एवं पौधा लगा गमला भेंट कर आत्मीय स्वागत किया।

भविष्य की योजनाओं का संकेत

महापौर टटवाल ने साफ शब्दों में कहा कि उज्जैन नगर निगम श्मशान घाटों के स्वरूप में आमूलचूल परिवर्तन लाएगा। सिर्फ अंतिम संस्कार स्थल के रूप में नहीं, बल्कि “स्मृति स्थलों” के रूप में उनका विकास किया जाएगा, जहाँ न केवल धार्मिक संस्कार हो सकें, बल्कि मानसिक शांति और पर्यावरणीय संतुलन भी बना रहे।

उन्होंने भीलवाड़ा की पंचमुखी योजना की सराहना करते हुए कहा कि वहाँ की तरह उज्जैन में भी स्मृति वन, रेन वाटर हार्वेस्टिंग, यज्ञ शालाएं, ध्यान स्थल और ओपन गार्डन जैसी सुविधाएं विकसित की जाएंगी।

अन्य स्थलों का भी किया अवलोकन

दौरे के अंतर्गत महापौर टटवाल ने भीलवाड़ा के शास्त्रीनगर मुक्तिधाम और स्मृति वन का भी निरीक्षण किया। इन स्थलों की सौंदर्यता, स्वच्छता और शांति से वे विशेष रूप से प्रभावित हुए। इस अवसर पर भीलवाड़ा नगर निगम के महापौर राकेश पाठक ने उन्हें काईनहाउस और मुक्तिधाम के संपूर्ण परिसर का भ्रमण करवाया।

महापौर टटवाल के साथ मेयर इन काउंसिल सदस्य प्रकाश शर्मा, शिवेन्द्र तिवारी, कैलाश प्रजापत, योगेश्वरी राठौड़, सत्यनारायण चौहान, तथा निगम के अधिकारी प्रवीण वाडिया एवं अर्पित मिश्रा भी मौजूद रहे।

भीलवाड़ा की पंचमुखी मुक्तिधाम योजना एक आदर्श मॉडल के रूप में उभरी है, जिसमें श्रद्धा, स्वच्छता और हरियाली का अद्भुत समावेश है। उज्जैन के महापौर मुकेश टटवाल द्वारा इस दिशा में संकल्पित होकर उठाए गए कदम निश्चित रूप से शहर की छवि को बदलेंगे और अंतिम संस्कार स्थलों को ‘प्रेरणास्थल’ में परिवर्तित करने की दिशा में एक प्रभावी पहल साबित होंगे।

 

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