जिंदा शख्स का पोस्टमार्टम! बिहार में फर्जीवाड़े की हदें पार, डॉक्टरों-अस्पताल की ‘अनोखी’ करतूत

बिहार के बिक्रमगंज थाना क्षेत्र में एक शख्स का एक्सीडेंट हुआ और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया. 5 दिन अस्पताल में भर्ती रहने के बाद सड़क हादसे में घायल हुए व्यक्ति की छठे दिन मौत हो गई. लेकिन उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट 5वें दिन ही तैयार कर दी गई यानी एक दिन पहले ही शख्स को पेपर्स में मार दिया गया. इसके बाद एक बार फिर से स्वास्थ्य विभाग के काम पर सवाल उठने लगे.

दरअसल, ये मामला 16 मई का है, जब बिक्रमगंज-नटवार रोड स्थित एसडीओ आवास के पास एक धनगाई के रहने वाले सत्यनारायण गुप्ता के साथ भीषण सड़क हादसा हो गया था. हादसे के बाद उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया. उनका जमुहार स्थित नारायण मेडिकल कॉलेज में इलाज चल रहा था. लेकिन 22 मई को उन्होंने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया और उनकी मौत हो गई.

1 दिन पहले तैयार पोस्टमार्टम रिपोर्ट

सत्यनारायण गुप्ता की 22 मई को मौत हुई. लेकिन उनकी अस्पताल में डॉक्टरों ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट 21 मई की तैयार कर दी थी. जबकि उनका 22 मई को ही पोस्टमार्टम हुआ, जिसके लिए शव को सदर अस्पताल सासाराम अनुरोध पत्र के साथ भेजा गया था. सत्यनारायण गुप्ता के बेटे ने उनके शव को पोस्टमार्टम हाउस से विधिवत रूप से लिखित रसीद के साथ लिया. लेकिन जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो उसमें पोस्टमार्टम की तारीख 21 मई यानी मौत से एक दिन पहले की डाली गई थी.

मृतक के बेटे को हो रही परेशानी

इसके बाद जहां एक तरफ मृतक के बेटे को पिता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में गलत तारीख लिखने की वजह से परेशानियों का सामना करना पड़ा रहा है. प्रधानमंत्री जनधन योजना में उन्हें दुर्घटना बीमा के क्लेम करने में दिक्कत हो रही है. वहीं दूसरी तरफ ये मामला सिविल सर्जन, डीएम, स्वास्थ्य विभाग के सचिव के साथ-साथ स्वास्थ्य मंत्रालय भारत सरकार के सचिव तक पहुंच गया.

पीड़ित मृतक के बेटे ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की वजह से गलत तारीख की पोस्टमार्टम रिपोर्ट तैयार की गई है. अब उन्हें इसकी वजह से परेशानी झेलने पड़ रही है. उन्हें पिता के दुर्घटना बीमा के क्लेम करने में भी बाधा हो रही है.

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