किशनगढ़बास में जलभराव और बदहाल सफाई व्यवस्था , जिम्मेदारों की अनदेखी से जनता बेहाल

शहर में मानसून पूर्व नालों की सफाई में लापरवाही, जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की उदासीनता से जनता परेशान, संगठन विहीन शहर में समस्याएं उठाने वाला भी नहीं

मुकेश सोनी । किशनगढ़ बास। शहर का दर्द समझने के लिए सरकार ने व्यवस्थाएं की हुई है, लोगों की समस्याएं सुनने और उनका निदान करने के लिए अधिकारी लगा रखे हैं, विकास के लिए समय-समय पर आवश्यकताओं को देखते हुए बजट देती है जिससे कि शहर गांव में विकास किया जा सके। इसके साथ गांव की पंचायत से लेकर देश की सबसे बड़ी संसद में शहर गांव गरीब की बात को मजबूती से रखने के लिए जनता सरपंच प्रधान जिला प्रमुख विधायक सांसद को वोट के अधिकार से अपना प्रतिनिधि चुनकर भेजती है।

लेकिन विडंबना की बात है कि जिले के सबसे बड़े उपखंड किशनगढ़ बास पर बैठे अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों में किसी को भी इस शहर की सबसे जटिल बारिश से होने वाले जल भराव की समस्या से सरोकार नहीं है। जनप्रतिनिधि वोटों की चिंता है और अधिकारियों को अपनी कुर्सी बचाने की जनता पिसती है तो पिसे, लोगों का नुकसान होता है तो होने दो हमारी कुर्सी सलामत रहनी चाहिए।

देश में दो सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी है भाजपा और कांग्रेस किशनगढ़ बास में दोनों ही पार्टी के संगठन है। दोनों ही पार्टी के संगठन पदाधिकारी कार्यकर्ता चाहते हैं कि समस्याओं का समाधान हो क्योंकि वह जानते हैं जब चुनाव में जनता के बीच वोट मांगने जाते हैं तो सुनना उन्हें पड़ता है पर सरकार में उनकी चलती नही है वहां विधायक और सांसद की बात को सुना जाता। इसलिए स्थानीय अधिकारी भी उन्हें महत्व नहीं देते ऐसे में वह लोगों की बात विधायक सांसद के सामने ही रख सकते हैं उसमे भी फिर अपना व पराया देखा जाता है कि कौन हमारा है कौन पराया है।

अब ऐसे में जनता के हक की बात कौन अधिकारियों, नेताओं से करें क्योंकि की वहां जाने वाले लोगों के चेहरों के साथ सिर गिनें जातें हैं और वह इतने बड़े शहर की सबसे बड़ी कमजोरी है चूंकि यहां पर एक भी लोगों की आवाज को बुलंद होकर रखने के लिए संगठन नहीं बचें है जो थें उनका अस्तित्व नहीं बचा है या वह खत्म हो गए हैं। आज से करीब 25 से 30 साल पुरानी बात करें तो सबसे सशक्त जनता की आवाज उठाने व शहर की चिंता करने के लिए नवयुक मंडल था जिसमें 36 बिरादरी प्रतिनिधित्व हुआ करता था।

इसके अलावा तरुण समाज लायंस क्लब जैसे अनेक संगठन हुआ करते थे जो आमजन की समस्याओं के मुद्दों को उठाते थे। पर आज एक भी अस्तित्व में नहीं होने से शहर के दर्द को कोई रखने वाला नहीं है। एक बार फिर इस शहर को जरूरत है ऐसे नवयुवकों की जो राजनीति से दूर एक ऐसे सशक्त मजबूत संगठन का निर्माण कर शहर की आवाज बन सके मजबूती से अधिकारियों और नेताओं के बीच शहर की बात को रख सके ऐसे संगठन की जरूरत है।
वर्तमान में शहर की क्या स्थिति है यह छुपा नहीं है। 25 लाख का टैंडर दैकर नगर पालिका मानसून आने पर नालों की सफाई करा रही है जो आज एक महीने पहले की होनी चाहिए थी। खैर देर से सही पर हों रहीं हैं। लेकिन सफाई कम लोगों परेशान अधिक क्या जा रहा है। दुकानों के आगे से नालों पर रखें पटाव, कातले दो दिन पहले हटवा दिए, नालों की गंदगी को तीन दिन बाद तक भी नहीं उठाया जा रहा है। सफाई के दौरान दुकानदारों के हजारों पटाव, कातले तोड़े जा रहे। दूसरी तरफ डर से दुकानदार पैसे देकर प्राइवेट लोगों से सफाई करा रहे ना तो सड़क पर गंदगी फैल रही है और ना ही लोगों का नुकसान हो रहा है और सफाई भी ठीक से हो रही है। क्या दुकानदारों का बिना नुकसान किए और हाथों हाथ गंदगी को उठाने का कार्य नगर पालिका नहीं करा सकती है। इसके अलावा शहर में अभी तक एक भी पार्क है जहां पर लोग मार्निंग वॉकिंग के लिए जा सके। नाहीं बच्चों के खेलने के लिए कोई स्टेडियम है। करोड़ों रुपया एक साल में देने के बाद भी सफाई का बुरा हाल है। यह सब इसलिए है कि कोई आवाज उठाने वाला नहीं है

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