सांप काटे तो डॉक्टर नहीं, सीधा यहां पहुंचते हैं लोग… कहते हैं इस जगह पर जहर भी तोड़ देता है दम, महाभारत काल से है कनेक्शन

अगर कोई सांप डस ले तो सबसे पहले अस्पताल का ख्याल आता है, लेकिन उत्तर प्रदेश के रायबरेली में एक ऐसा मंदिर है, जहां लोग मानते हैं कि यहां आने भर से ही सांप के जहर का असर खत्म हो जाता है. रायबरेली जिला मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर, लखनऊ-इलाहाबाद हाईवे किनारे हरचंदपुर विकास क्षेत्र के लालूपुर गांव में आस्तिक बाबा (Astik Baba Mandir) का ये प्रसिद्ध मंदिर स्थित है.
लोगों की मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति आस्तिक बाबा का नाम भी ले लेता है तो उसे सांपों से डर नहीं लगता. यहां तक कि अगर किसी को जहरीले सांप ने काट लिया हो, तो मंदिर में पहुंचने पर वो पूरी तरह ठीक हो जाता है. खास बात ये है कि इसके लिए किसी दवाई या इलाज की जरूरत नहीं पड़ती.

महाभारत काल से जुड़ी है मान्यता
मंदिर के पुजारी अमित तिवारी बताते हैं कि आस्तिक बाबा मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा है. मान्यता के मुताबिक, एक बार राजा परीक्षित जंगल में शिकार पर गए थे. वहां उनके तीर से एक हिरण घायल हो गया, लेकिन वो हिरण अचानक गायब हो गया. तभी राजा ने एक ऋषि को ध्यान में लीन देखा. जब राजा ने उनसे सवाल किए और जवाब नहीं मिला तो गुस्से में आकर राजा ने ऋषि के गले में मरा हुआ सांप डाल दिया.

तक्षक नाग से जुड़ी है ये कहानी
कहा जाता है कि ये देखकर ऋषि के पुत्र श्रंगी ने राजा परीक्षित को श्राप दिया कि एक सप्ताह के भीतर तक्षक नाग उन्हें डस लेगा. बाद में जब राजा परीक्षित के पुत्र जन्मेजय को ये बात पता चली तो उन्होंने नागों को खत्म करने के लिए विशाल यज्ञ करवाया. तभी आस्तिक महाराज ने यज्ञ रोककर तक्षक नाग की जान बचाई. तभी से ऐसा माना जाता है कि आस्तिक बाबा का नाम लेने से सांपों का भय खत्म हो जाता है.

सावन में लगता है विशाल मेला
सावन माह की चतुर्दशी को यहां विशाल मेला लगता है. सिर्फ रायबरेली ही नहीं, आसपास के जिलों से भी भारी संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन करने पहुंचते हैं. मंदिर परिसर में नाग पंचमी से ठीक एक दिन पहले हजारों लोग जुटते हैं ताकि सालभर सांपों का कोप उनके ऊपर न पड़े.
श्रद्धालु की जुबानी चमत्कार की कहानी
रायबरेली के लालूपुर गांव की रहने वाली श्रद्धालु पार्वती देवी बताती हैं कि पिछले साल सावन के महीने में उनकी बहू को सांप ने डंस लिया था. इलाज के बजाय वो सीधे आस्तिक बाबा के मंदिर आईं. यहां पूजा-अर्चना के बाद उनकी बहू पूरी तरह ठीक हो गई. अब वह परिवार सहित यहां पूजा करने आती हैं.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here