प्रमोद की कराते में अंतरराष्ट्रीय उड़ान, श्रीलंका रेफरी परीक्षा में करेंगे देश का प्रतिनिधित्व

उमरिया।  छोटे शहरों से निकली बड़ी उड़ानों की कहानियां न केवल प्रेरणा देती हैं, बल्कि यह भी साबित करती हैं कि यदि सपना बड़ा हो और हौसला मजबूत, तो कोई भी मंजिल दूर नहीं। ऐसी ही एक कहानी है बिरसिंहपुर पाली के प्रमोद विश्वकर्मा की, जिन्होंने कराते को सिर्फ खेल नहीं, बल्कि अपना जुनून और जीवन का उद्देश्य बना लिया। प्रमोद विश्वकर्मा का नाम आज भले ही खेल जगत में जाना-पहचाना हो, लेकिन उनकी शुरुआत बहुत ही साधारण थी। एक सामान्य परिवार में जन्मे प्रमोद के पास न तो सुविधाएं थीं, न ही संसाधन। अभ्यास के लिए मैट तक उपलब्ध नहीं था तो उन्होंने जमीन को ही अपना अखाड़ा बना लिया। तमाम मुश्किलों के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी, बल्कि इन परिस्थितियों को अपनी ताकत बना लिया।

पिछले 15 वर्षों में प्रमोद ने न सिर्फ अपनी प्रतिभा को निखारा, बल्कि कराते को एक मिशन की तरह अपनाते हुए अब तक 4000 से अधिक खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दिया है। खास बात यह है कि उनके सिखाए खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 50 से ज्यादा पदक हासिल किए हैं, जो पूरे जिले और राज्य के लिए गर्व की बात है। प्रमोद स्वयं भी भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। उन्होंने मलेशिया में आयोजित अंतरराष्ट्रीय कराते प्रतियोगिता में भारत के लिए कांस्य पदक जीतकर देश का परचम लहराया था। अब श्रीलंका में होने वाली अंतरराष्ट्रीय कराते रेफरी/जज परीक्षा में प्रमोद भारत का प्रतिनिधित्व करने जा रहे हैं। यह न केवल उनके व्यक्तिगत करियर के लिए, बल्कि पूरे जिले के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है।

प्रमोद की यह उपलब्धि दर्शाती है कि असली प्रतिभा संसाधनों की मोहताज नहीं होती, बल्कि मेहनत, समर्पण और आत्मविश्वास से ही इतिहास लिखा जाता है। उमरिया जैसे छोटे जिले से निकलकर प्रमोद ने जो मुकाम हासिल किया है, वह आज जिले के हर युवा के लिए एक प्रेरणा है। अब उमरिया केवल नक्शे पर नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय पदकों और मंचों पर भी अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है।
 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here