एनजीटी ने एनएचएआई सहित 4 विभागों को नोटिस जारी कर राष्ट्रीय राजमार्गों पर पेड़ कटाई के बदले 8.5 लाख पौधे लगाने का जवाब मांगा।
भीलवाड़ा । नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) सेंट्रल जोनल बेंच भोपाल ने एक बार फिर पर्यावरण संरक्षण को लेकर सख्ती दिखाई है। एनजीटी ने राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण के दौरान पेड़ कटाई और उसके बदले नियमानुसार पौधारोपण न करने पर नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI), राजस्थान सरकार, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, एनएचएआई जयपुर कार्यालय और राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जयपुर को नोटिस जारी किया है। सभी को 4 सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा गया है।
यह कार्रवाई भीलवाड़ा निवासी पर्यावरणविद् बाबूलाल जाजू की ओर से अधिवक्ता लोकेन्द्र सिंह कच्छावा द्वारा दायर जनहित याचिका के बाद हुई है। जाजू ने याचिका में गंभीर आरोप लगाते हुए बताया कि राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण के दौरान एनएचएआई ने नियमानुसार तीन, पांच या दस गुना पौधे लगाने के नियम की अनदेखी की है।
8.5 लाख पौधों की और जरूरत
याचिका में बताया गया है कि कई राजमार्गों पर पेड़ काटे गए लेकिन उनकी जगह पर्याप्त संख्या में पौधे नहीं लगाए गए। जिन प्रजातियों के पेड़ काटे गए, उनकी जगह झाड़ियां लगाकर औपचारिकता पूरी कर दी गई। मौजूदा रिपोर्ट के अनुसार अभी 8.5 लाख पौधों की और जरूरत है, ताकि कटे हुए पेड़ों की भरपाई की जा सके और हरियाली को बहाल किया जा सके।
मॉनिटरिंग सिस्टम भी लचर
जाजू ने बताया कि वन मंत्रालय ने फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को मॉनिटरिंग मैकेनिज्म और ऑडिट का निर्देश दिया था, लेकिन अब तक इसकी प्रभावी व्यवस्था नहीं हो पाई। अधिकतर लगाए गए पौधे उचित देखरेख के अभाव में सूख गए हैं या खराब हो चुके हैं। इससे पर्यावरण और प्रदूषण की स्थिति और बिगड़ रही है।
डिवाइडर में झाड़ियां लगाकर औपचारिकता
याचिका में कहा गया कि राजमार्गों के दोनों ओर लंबे-उम्र और प्राणवायु देने वाले पौधों की जगह डिवाइडर में झाड़ियां लगाकर पेड़ों की संख्या पूरी दिखा दी गई। इससे न हरियाली बढ़ी, न ही वायुप्रदूषण की समस्या का समाधान हुआ।
2015 की गाइडलाइन का उल्लंघन
बाबूलाल जाजू ने याचिका में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा 2015 में जारी मुख्य राजमार्ग वृक्षारोपण, प्रत्यारोपण, सौंदर्यकरण और रखरखाव नीति तथा हाल ही में जारी पर्यावरण नीति 2024 का उल्लंघन बताया।
जमीन का भी ध्यान नहीं
याचिका में यह भी आरोप है कि एनएचएआई अपनी परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण की योजनाएं तैयार करते समय एवेन्यू प्लांटेशन और लैंडस्केप सुधार के लिए जगह नहीं छोड़ती। इसके कारण सड़क निर्माण के बाद पौधारोपण के लिए उपयुक्त भूमि नहीं बचती।
अगली सुनवाई 14 अगस्त को
एनजीटी ने मामले की अगली सुनवाई 14 अगस्त 2025 को निर्धारित की है। इससे पहले सभी पक्षों को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी।
मिशन सच से जुडने के लिए हमारे व्हाट्सप्प ग्रुप को फॉलो करे https://chat.whatsapp.com/JnnehbNWlHl550TmqTcvGI?mode=r_c