अलवर. पूर्णिमा की रात सबसे लंबी और रोशनी वाली मानी जाती है बुदध पूर्णिमा पर गर्मी के चलते वाटर होल्स में पानी की कमी रहती है, इस कारण दिन व रात में वन्यजीवों की गणना आसान होता है। वन विभाग भी इसी कारण हर साल बुदध पूर्णिमा पर 24 घंटे की वन्यजीव गणना करता है। अलवर जिले में बुदध पूर्णिमा पर गुरूवार सुबह 8 बजे से वन्यजीव गणना शुरू हुई। यह गणना शुक्रवार सुबह 8 बजे पूरी होगी. इस दौरान 24 घंटों में वनकर्मी वाटर होल्स के नजदीक मचान बना वाटर होल्स पर पानी पीने के आने वाले वन्यजीवों की गणना कर वन विभाग के अधिकारियों को रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।
जिले में 55 वाटर हाॅल पर होगी वन्यजीव गणना
वन मंडल अलवर डीएफओ राजेन्द हुडडा ने बताया कि अलवर जिले में वन मंडल अलवर कार्यालय की ओर से अधिनस्थ वन क्षेत्रों में बाघ, बघेरा एवं अन्य वन्यजीव गणना शाकाहारी व मासाहारी प्रजाति का आकलन वर्ष 2024 के लिए किया जाएगा. यह वन्यजीव गणना 23 मई की सुबह 8 बजे शुरू होगी और 24 मई की सुबह 8 बजे पूरी होगी। वन्यजीव संख्या आकलन 2024 के लिए बीट को इकाई मानकर बीटवाइज आकलन किया जाना है। बीट में उपलब्ध पानी के स्रोतों वाटर हाॅल्स को पानी की उपलब्धता देखते हुए वन मंडल कार्यालय अलवर के अधीन कुल 55 वाटर हाॅल्स चिहिन्त किए गए हैं।
मचान पर बैठकर करेंगे गणना
डीएफओ हुडडा के अनुसार वाटर हॉल पद्धति से वन्यजीवों की गणना की जाएगी। जंगलों में मचान पर बैठकर वॉटर हॉल पर वन्यजीवों की गिनती की जाएगी. एनटीसीए प्रोटोकाॅल के तहत वन्यजीव गणना की जाएगी।
24 से अधिक प्रजातियों की होगी गणना
वन्यजीव गणना में बाघ, बघेरे, जरख, भालू, सियागोश, लकड़बग्घे, भेड़िए, सियार, लोमड़ी, जंगली बिल्ली, लंगूर, जंगली सूअर, नीलगाय, सांभर, चीतल, काला हिरण, चिंकारा, नेवला, बिज्जू और सेही को गिना जाएगा।
पूर्णिमा पर रात भर रहती है चांदनी
बुदध पूर्णिमा की पूरी रात चांदनी रहती है. गर्मी के चलते इन दिनों कुछ ही वाटर हाॅल्स में पानी की मात्रा बचती है. ऐसे में वन्यजीव 24 घंटे में एक बार पानी पीने के लिए इन वाटर हाॅल्स पर जरूर आता है. रात के समय भी वन्यजीव वाटर हाॅल्स पर पानी पीने के लिए आते हैं, इस कारण चन्द्रमा की रोशनी में वन्यजीवों की गणना करना आसान रहता है. इसलिए वन विभाग की ओर से बुदध पूर्णिमा को वन्यजीव गणना के लिए चुना गया है।