77 साल ने नहीं था सार्वजनिक रास्ता, काश्तकारों ने खातेदारी की जमीन दानकर आमजन के लिए खोला रास्ता

अलवर. गांव से ढाणियों व शहरों में सुगमता पूर्वक आवागमन की सहूलियत की सोच पर रविवार को दस गांवों के प्रयासों से कांकर में आम पंचायत हुई । आम पंचायत में देश की आजादी के 77 वर्षों बाद काश्तकारों ने अपनी खातेदारी की जमीन का हिस्सा स्वेछिक दान कर कांकर शिव मंदिर से बड़ा जोहड़ की ओर कांकर की ढाणी होते हुए हरियाणा के मोहनपुर सड़क मार्ग को जोड़ने वाले रास्ते के खोलने पर सहमति जताई।

जानकारी के अनुसार काश्तकारों की खातेदारी जमीनी भाग को सार्वजनिक रास्ते के लिए चिन्हित कर खाकाबन्दी भी मौके पर ही कराई गई। कुतीना सरपंच रविन्द्र सिंह चौहान व हल्का पटवारी विकास यादव डुघेडिया, मुकुलसिंह सहित करीब दस गांवों के प्रबुद्धजनों के प्रयासों ने कांकर शिव मंदिर से बड़ा जोहड़ की ओर कांकर की ढाणी होते हुए हरियाणा के मोहनपुर सड़क मार्ग को जोड़ने वाले रास्ते के लिए 20 फीट आमरास्ते की जमीन दान की सहमति दानदाता काश्तकारों की ओर से जताई गई। ऐसे ऐतिहासिक जमीनी दान के लिए सभी दानदाताओं का 10 गांवो के लोगों ने पंचायत चौपाल में आभार जताते हुए अनुकरणीय कदम बताया व सराहना भी की।
गौरतलब है कि आजादी के समय से ही बसी हुई कांकर की ढाणी गांव में आवागमन के लिए कोई भी सार्वजनिक आम रास्ता नहीं था। जिससे ग्रामीणों के आवाजमन में ग्रामीण क्षेत्र में, शहरी क्षेत्र में व घरों तक वाहन लेकर आने जाने में बड़ी परेशानी उठानी पड़ रही थी। जिसको लेकर रविवार को शाहजहांपुर सरपंच प्रतिनिधि गिर्राज यादव के नेतृत्व में स्थानीय सरपंच रविन्द्र सिंह चौहान, हरियाणा के खंडोडा के पूर्व सरपंच सत्यनारायण सहित करीब 10 गांव के लोगों ने सार्वजनिक रास्ता खोलने के लिए जमीन से संबंधित खाताधारक को जमीन दान देने के लिए प्रेरित किया । आम सहमति बनने पर खातेदार मुनीराम, प्रताप सिंह चौहान, बेनी प्रसाद यादव, कंवर सिंह पंच मूल चंद यादव, पोप सिंह चौहान, होशियार यादव, बाबू यादव सहित से सार्वजनिक हितार्थ समझाइस पर जमीन का हिस्सा रास्ते के लिए देने पर सहमति के लिए तैयार किया गया। इस मौके पर कुतीना पूर्व सरपंच टीकम सिंह चौहान, राम सिंह, वीरेंद्र सिंह, मदन चौहान, शीशराम यादव, धर्मचंद यादव सहित के अथक प्रयासों से आजादी के 77 वर्षों बाद ग्रामीणों को आमरास्ते की सौगात पर सहमति बन सकी। गौरतलब है कि कई वर्षों से रास्ता खोले जाने के प्रयास होते रहे। परन्तु आपसी स्वाभिमान व तकरार के बीच सहमति नही बन पाई थी। रविवार को आखिर मेहनत रंग लाने से हुई सहमति ने कांकर की ढाणी के ग्रामीणों को मानो असली आजादी मिलने जैसी खुशी मिल गई।

 

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