अलवर. सरिस्का बाघ परियोजना में जाल लगाकर शिकार करने की घटनाएं अभी पूरी तरह रूक नहीं पाई है। सोमवार को रेंज अलवर बफर में शिकार के लिए जाल लगाकर बैठे एक शिकारी को वनकर्मियों ने ने गिरफतार कर लिया, जबकि दो अन्य शिकारी फरार होने में सफल रहे। वनकर्मियों की टीम फरार हुए शिकारियों की गिरफतारी के प्रयास में जुटी है।
सरिस्का के अलवर बफर रेंज के क्षेत्रीय वन अधिकारी शंकरसिंह शेखावत ने बताया कि मुखबिर की सूचना पर टाइगर रिजर्व सरिस्का के अधीन अलवर बफर रेंज के रोगडा वन क्षेत्र में ग्राम डोबा के समीप वनकर्मियों की टीम ने दबिश दी। वहां जाल लगाकर बैठे तीन शिकारियों को पकड़ने का प्रयास किया। वनकर्मियों ने इन तीन शिकारियों में से एक शिकारी हंसराज पुत्र रामोतार मीणा निवासी मीणो की ढाणी सीरावास को पकड़ लिया। वहीं दो शिकारी मौके से फरार हो गए। पकड़े गए शिकारी से पूछताछ में उसने जंगली खरगोश व तीतर को पकड़ने के लिए जाल लगाने की बात स्वीकारी। गिरफतार शिकारी ने फरार हुए शिकारी मुकेश मीणा पुत्र लालाराम मीणा निवासी मीणो की ढाणी सीरावास एवं सुभाष बावरिया पुत्र श्रीया बावरिया निवासी बावरियो की ढाणी सीरावास को भी अपने साथ शामिल होना बताया। गिरफतार किए शिकारी हंसराज से पूछताछ के बाद उसे सोमवार को न्यायालय में पेश किया, वहां से उसे 15 दिन की न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया। वन विभाग टीम की ओर से फरार हुए दो शिकारियों की तलाश की जा रही है। कार्रवाई के दौरान सहायक वनपाल अभिषेक शेखावत, राजेश कसाना, मुरारी मीणा, नवल किशोर, राहुल गुर्जर आदि शामिल रहे।
सरिस्का को बाघ विहिन करने में भी शिकारियों का रहा हाथ
वर्ष 2005 में सरिस्का को बाघ विहिन करने में भी शिकारियों का बड़ा हाथ रहा। सरिस्का में जाल लगाकर वन्यजीवों व तीतर आदि की घटनाएं पहले भी होती रही है। बाघ एसटी—11 की मौत भी खेत में लगाए फंदे में गर्दन फंसने से हुई। वहीं जाल लगाकर तीतर, खरगोश आदि के शिकार करते शिकारियों को पूर्व में कई बार पकड़ा जा चुका है। सरिस्का प्रशासन की ओर से शिकारियों पर कार्रवाई करने के बाद भी जाल लगाकर शिकार करने की घटनाएं अभी पूरी तरह रूक नहीं पाई है