अलवर. देश भर में स्वस्थ्य जीवन जीने के लिए प्राणवायु अलवर से बहेगी। कारण है कि प्राण वायु देने का महकमें की चाबी अब अलवर के हाथ रहेगी। अलवर सांसद भूपेन्द्र यादव केन्द्र और अलवर शहर विधायक संजय शर्मा राजस्थान में वन एवं पर्यावरण का जिम्मा संभाल रहे हैं। अलवर के राजनीतिक इतिहास में यह संयोग पहली बार बना है। इस कारण अब टाइगर रिजर्व सरिस्का के दिन तेजी से िफरने की उम्मीद जगी है।
अलवर सांसद भूपेन्द्र यादव को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बनी एनडीए सरकार में पुन: वन एवं पर्यावरण विभाग का जिम्मा सौंपा गया है। यादव ने रविवार को एनडीए सरकार में कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली थी। वहीं अलवर शहर से विधायक संजय शर्मा पहले से ही राज्य की भजनलाल सरकार में वन एवं पर्यावरण मंत्री का जिम्मा संभाल रहे हैं। अब अलवर के दोनों मंत्रियों के पास एक ही विभाग होने से टाइगर रिजर्व सरिस्का के विकास, सरिस्का के इको सेंसेटिव जोन के प्रस्ताव का अंतिम प्रकाशन, सरिस्का होकर निकलने वाले नटनी का बारा से थानागाजी थैंक्यू बोर्ड तक एलिवेटेड रोड के प्रस्ताव को मंजूरी, सरिस्का में बाघों की ब्रीड बदलने के लिए मध्यप्रदेश व अन्य राज्यों के टाइगर रिजर्व से बाघों के पुनर्वास को मंजूरी देने सहित सरिस्का की सुरक्षा के लिए सर्विलांस सिस्टम में कैमरों की संख्या बढ़ाने सहित अन्य कार्यों में तेजी की उम्मीद जगी है।
भूपेन्द्र यादव पहले भी रह चुके वन एवं पर्यावरण मंत्री
भूपेन्द्र यादव वैसे तो मोदी सरकार—2 में भी वन एवं पर्यावरण रहे थे और उस दौरान सरिस्का में एलिवेटेड रोड का प्रस्ताव तैयार कराने, इको सेंसेटिव जोन का प्रस्ताव तैयार कराने सहित सरिस्का टाइगर रिजर्व के विकास के अन्य कार्य किए। हालांकि अलवर विधायक संजय शर्मा की केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव से नजदीकी पहले भी रही है। इसका लाभ सरिस्का को मिलता रहा है। लेकिन पिछली मोदी सरकार में मंत्री रहने और इस बार एनडीए सरकार में पुन: कैबिनेट मंत्री बनने की बात अलग है। कारण है कि पिछली मोदी सरकार में मंत्री रहने के दौरान भूपेन्द्र यादव राजस्थान से राज्यसभा सांसद थे और अब वे अलवर से सांसद चुने जा चुके हैं। यानी अब अलवर से उनका सीधा जुड़ाव है। इस कारण इस बार भूपेन्द्र यादव के केन्द्र में वन एवं पर्यावरण मंत्री बनने का अलवर को ज्यादा लाभ मिलने की उम्मीद है। साथ ही संजय शर्मा पिछली राज्य सरकार में मात्र अलवर शहर विधायक थे, लेकिन अब भजनलाल सरकार में वे खुद वन एवं पर्यावरण मंत्री है।
प्रदूषण की समस्या से मुक्ति मिलने की भी संभावना
अलवर जिला दिल्ली एवं हरियाणा के नजदीक होने के कारण यहां सर्दियों के समय में प्रदूषण की समस्या ज्यादा रहती है। सर्दियों में भिवाड़ी का एक्यूआई 400 और अलवर का 250 के पार पहुंच जाता है। यानी अलवर का प्रदूषण खराब और भिवाड़ी का खतरनाक स्थिति तक चला जाता है। अलवर जिले में प्रदूषण की समस्या होने के बावजूद इस पर नियंत्रण के साधन नहीं है। अब केन्द्र व राज्य सरकार में पर्यावरण मंत्री अलवर के होने से प्रदूषण की समस्या के निराकरण की उम्मीद जगी है