“खेत को पानी, फसल को दाम, युवाओं को काम” के लिए किसान महापंचायत की अन्नदाता हुंकार रैली
मिशनसच न्यूज, जयपुर। किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने कहा है कि आगामी 6 अक्टूबर को जयपुर में आयोजित होने वाली “अन्नदाता हुंकार रैली” में प्रदेशभर से 50,000 किसान भाग लेंगे। यह रैली “खेत को पानी, फसल को दाम, युवाओं को काम” की मांगों को लेकर आयोजित की जा रही है। इसके लिए तैयारियां अंतिम चरण में हैं और आने वाले 55 दिनों में गांव-गांव पहुंचकर जनसंपर्क अभियान चलाया जाएगा।
आज सेंट्रल पार्क, जयपुर में प्रदेश के प्रमुख कार्यकर्ताओं की बैठक हुई, जिसमें 7-8 जून को आयोजित प्रदेश स्तरीय कार्यशाला में तय किए गए कार्यक्रमों की समीक्षा की गई। बैठक में तय हुआ कि राजस्थान के 45,539 गांवों में से प्रत्येक गांव से औसतन एक किसान प्रतिनिधि इस रैली में पहुंचेगा।
बैठक में दो महत्वपूर्ण प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किए गए—
पहला प्रस्ताव – अमेरिकी दबाव के बावजूद किसानों के पक्ष में प्रधानमंत्री का रुख
किसान महापंचायत ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अमेरिका की धमकियों के बावजूद भारत सरकार द्वारा कृषि क्षेत्र को अमेरिकी व्यापार के लिए न खोलने के निर्णय का स्वागत किया। प्रस्ताव में कहा गया कि 2014 से 2025 के बीच यह पहला अवसर है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय समझौते में अमेरिकी दबाव के आगे न झुकते हुए किसानों के हित में स्पष्ट रुख अपनाया है।
रामपाल जाट ने कहा कि यह स्थिति 1998 के पोखरण परमाणु परीक्षण के समय की याद दिलाती है, जब तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अमेरिकी धमकियों को दरकिनार कर भारत की संप्रभुता की रक्षा की थी। किसानों ने आशा व्यक्त की कि प्रधानमंत्री मोदी भविष्य में भी अमेरिकी दबाव के सामने अडिग रहेंगे और भारतीय किसानों के हितों की रक्षा करते रहेंगे।
संगठन ने यह भी आग्रह किया कि केंद्र सरकार “न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर खरीद की गारंटी” का कानून पारित करे, ताकि किसानों को सरकार द्वारा घोषित एमएसपी का लाभ अनिवार्य रूप से मिल सके। इससे न केवल किसानों की आय में वृद्धि होगी बल्कि देश की आर्थिक समृद्धि में भी योगदान मिलेगा।
दूसरा प्रस्ताव – स्मार्ट मीटर लगाने की अनिवार्यता का विरोध
बैठक में कृषि सहित सभी विद्युत उपभोक्ताओं को स्मार्ट मीटर लगाने के लिए बाध्य करने की आलोचना की गई और इसे स्वैच्छिक रखने की मांग की गई। प्रस्ताव के अनुसार, राजस्थान में वर्ष 2022 में विद्युत उपभोक्ताओं की संख्या 1,26,06,967 थी। यदि प्रत्येक स्मार्ट मीटर का मूल्य ₹8,000 माना जाए तो सभी पुराने मीटर बदलने पर लगभग ₹1,00,85,57,36,000 (एक खरब, पच्चासी करोड़, सत्तावन लाख, छत्तीस हजार रुपये) का खर्च आएगा।
किसान महापंचायत ने सवाल उठाया कि घाटे में चल रहे बिजली निगमों पर इतना बड़ा आर्थिक बोझ क्यों डाला जा रहा है। यदि मीटर का खर्च उपभोक्ताओं से वसूला जाएगा तो यह अन्याय होगा, और यदि निगम वहन करेंगे तो यह जनता से वसूले गए टैक्स का दुरुपयोग होगा।
संगठन ने मांग की कि—
स्मार्ट मीटर की वास्तविक लागत और खरीद प्रक्रिया की पूरी जानकारी सार्वजनिक की जाए।
इतनी बड़ी संख्या में खरीद होने पर मीटर की कीमत ₹500 तक क्यों नहीं हो सकती, इसका स्पष्टीकरण दिया जाए।
खरीद में शामिल कंपनियों की जानकारी, टेंडर प्रक्रिया और ब्लैकलिस्टेड कंपनी को टेंडर देने का कारण स्पष्ट किया जाए।
मीटर खरीद में पारदर्शिता और जनता को जवाबदेही सुनिश्चित की जाए।
रैली की तैयारियां और नेतृत्व की भूमिका
बैठक में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रोतास बोहरा, प्रदेश अध्यक्ष मुसद्दीलाल यादव, महामंत्री सुंदरलाल भावरिया, प्रदेश संगठन मंत्री गोवर्धन तेतरवाल, प्रदेश मंत्री मनजिंदर सिंह अटवाल एवं महेश जाखड़, प्रदेश मीडिया प्रभारी सुरेश बिजारणिया, युवा प्रदेश अध्यक्ष रामेश्वर चौधरी, खैरथल-तिजारा जिला अध्यक्ष वीरेंद्र क्रांतिकारी, मुंडावर तहसील अध्यक्ष रामभरोस यादव, हरसोली तहसील अध्यक्ष थानेदार शेर सिंह दहिया, बहरोड़ तहसील अध्यक्ष राम सिंह, हिंडौन जिला अध्यक्ष भरत डागुर, महामंत्री वेद प्रकाश शर्मा, टोंक जिला अध्यक्ष गोपी लाल जाट, अलवर जिला अध्यक्ष फूल सिंह, बारां जिला अध्यक्ष नरेंद्र चौहान सहित कई पदाधिकारी और प्रमुख कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
बैठक में तय किया गया कि रैली के प्रचार-प्रसार के लिए सोशल मीडिया, गांव स्तर की बैठकें, पोस्टर-बैनर और व्यक्तिगत संपर्क का सहारा लिया जाएगा। संगठन का लक्ष्य है कि इस रैली में न केवल राजस्थान बल्कि पड़ोसी राज्यों से भी किसान शामिल हों, ताकि कृषि नीतियों में किसानों की आवाज को और मजबूती से रखा जा सके।
रामपाल जाट ने कहा,“6 अक्टूबर को जयपुर में होने वाली अन्नदाता हुंकार रैली किसानों की ताकत और एकजुटता का प्रदर्शन होगी। हम शांतिपूर्ण तरीके से अपनी मांगों को सरकार के सामने रखेंगे, ताकि खेती-किसानी से जुड़ी समस्याओं का स्थायी समाधान हो सके।”