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    वजन घटाने के लिए बैरिएट्रिक सर्जरी: कितनी सुरक्षित और असरदार, कौन करवा सकता है?

    डाइटिंग, घंटों जिम, हर्बल टी और तमाम देसी-विदेशी उपाय… सब करके थक चुके हैं लेकिन वजन है कि कम होने का नाम नहीं ले रहा? अगर शरीर जवाब दे चुका है और दिमाग भी थकने लगा है, तो हो सकता है आपके लिए बैरिएट्रिक सर्जरी एक नई शुरुआत साबित हो। मैक्‍स सुपरस्‍पेशियलिटी हॉस्पिटल, पटपड़गंज (नई दिल्ली) के सीनियर डायरेक्टर, रोबोटिक और लेप्रोस्कोपिक सर्जरी विशेषज्ञ डॉ. आशीष गौतम बताते हैं, यह ऑपरेशन सिर्फ़ शरीर को बदलता ही नहीं, जिंदगी का नजरिया भी बदल सकता है। लेकिन क्या ये हर किसी के लिए है? आइए जानते हैं।
      
    डॉ. गौतम के मुताबिक, मोटापा सिर्फ़ वजन बढ़ने की समस्या नहीं है। यह धीरे-धीरे हार्ट, लिवर, शुगर, हार्मोन और प्रजनन क्षमता पर असर डालता है। सांस फूलना, जोड़ों में दर्द, थकान और अनियमित नींद जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। और जब ये सब मिलकर जिंदगी की रफ्तार रोकने लगें, तब ज़रूरी हो जाता है ठोस कदम उठाना।

    बैरिएट्रिक सर्जरी कैसे करती है असर?

    इस ऑपरेशन में पेट की बनावट में बदलाव किया जाता है, जिससे भूख कम लगती है और पेट जल्दी भर जाता है। इसके साथ ही, घ्रेलिन और इंसुलिन जैसे हार्मोनों की एक्टिविटी में सुधार होता है। इसका नतीजा ये होता है कि शरीर खुद संतुलन में आना शुरू कर देता है, बिना किसी सख्त डाइट या पेनफुल एक्सरसाइज़ के।

    ये कोई शॉर्टकट नहीं, बल्कि स्ट्रक्चरल सपोर्ट है

    लोगों में एक धारणा है कि सर्जरी वही करवाते हैं जो मेहनत से भागते हैं। लेकिन डॉ. गौतम कहते हैं कि ज़्यादातर मरीज़ पहले से ही कई साल तक वज़न कम करने की जद्दोजहद कर चुके होते हैं। यह सर्जरी उनके लिए आखिरी उम्मीद नहीं, बल्कि एक सिस्टमैटिक समाधान है।

    किन लोगों के लिए है ये ऑपरेशन और बाद की लाइफ कैसी होती है?
    जिनका BMI 40 से ऊपर हो
    जिनका BMI 35 से ज्यादा हो और साथ में डायबिटीज़, हाई BP, PCOS जैसी समस्याएं हों
    जिनपर डाइटिंग और एक्सरसाइज का असर नहीं हो रहा
    कुछ रिसर्च में BMI 27-30 वाले मरीजों को भी फायदा दिखा है, खासतौर पर टाइप-2 डायबिटीज में
    डॉ. गौतम के अनुसार, सबसे पहले ब्लड शुगर स्थिर होने लगता है और कुछ मरीज़ तो सर्जरी के कुछ दिनों के भीतर ही इंसुलिन छोड़ देते हैं। वज़न धीरे-धीरे घटता है, नींद बेहतर होती है, और थकावट कम महसूस होती है। सबसे खास बात, ऊर्जा लौट आती है और आत्मविश्वास भी।

    है कितना सेफ?

    आज की लेप्रोस्कोपिक और रोबोटिक तकनीक के चलते इस सर्जरी में बड़े चीरे नहीं लगते। छोटे-छोटे छेदों से ऑपरेशन होता है। मरीज सर्जरी के दिन ही चलने लगते हैं और 2-3 दिन में घर जा सकते हैं। हफ्तेभर में फिर से काम पर लौटना भी संभव होता है।

    क्या ये दवाओं से बेहतर है?

    हाल ही में सेमाग्लूटाइड जैसी दवाओं का चलन बढ़ा है, जो भूख कम करती हैं। लेकिन इनका असर तभी तक रहता है जब तक दवा चल रही हो। बंद होते ही वजन लौट आता है। वहीं बैरिएट्रिक सर्जरी शरीर को अंदर से ऐसा स्ट्रक्चर देती है जिससे हार्मोनल बैलेंस स्थायी रूप से बेहतर हो जाता है।

    क्या हर कोई करवा सकता है ये सर्जरी?

    नहीं। यह सर्जरी हर किसी के लिए नहीं है। मरीज की BMI, मेडिकल कंडीशन, उम्र और लाइफस्टाइल का मूल्यांकन कर डॉक्टर तय करते हैं कि यह ऑपरेशन उनके लिए सही है या नहीं। लेकिन अगर मोटापा आपकी रोजाना के कामों को प्रभावित कर रहा है, तो यह एक गंभीर विकल्प हो सकता है।

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