More

    भादों में करें ध्रर्म के अनुसार आचरण

     हिंदू पंचांग का छठा माह भाद्रपद अर्थात भादो चल रहा है। सनातन धर्म के अनुसार भाद्रपद माह चातुर्मास के चार पवित्र महीनों में से दूसरा महीना है। इसलिए इसमें कुछ नियमों का पालन करना अनिवार्य बताया गया है। भाद्रपद माह की पूर्णिमा सदैव पूर्वा या उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र में पड़ती है तथा आकाशगंगा में पूर्वा भाद्रपद अथवा उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र के योग बनने से इस माह का नाम भाद्रपद व भादो रखा गया है।
    भाद्रपद माह में स्नान, दान तथा व्रत करने से जन्म-जन्मान्तर के पाप नाश हो जाते हैं। भादो में अनेक लोक व्यवहार के कार्य निषेध होने के कारण यह माह शून्य मास भी कहलाता है। भादो में नए घर का निर्माण, विवाह, सगाई आदि मांगलिक कार्य शुभ नहीं माने जाते, इसलिए भादो में भक्ति, स्नान-दान के लिए उत्तम समय माना गया है।  इस दौरान जमीन पर ही सोना चाहिय और संयमित जीवन व्यतीत करना चाहिये।
    भाद्रपद माह धार्मिक तथा व्यावहारिक नजरिए से जीवनशैली में संयम और अनुशासन को अपनाना दर्शाता है। इसलिए इसमें कुछ नियमों का पालन करना अनिवार्य बताया गया है। शास्त्रनुसार भाद्रपद माह में कुछ कार्य निषेद्ध हैं तथा कुछ खाद्य सामाग्री पर भी वर्जना बताई गयी है। भादो में हरी शाक सब्जियों के अलावा शहद गुड, तिल, दही और नारियल के तेल का सेवन नहीं करना चाहिये। वहीं दूध , घी और मक्खन का अधिक से अधिक सेवन लाभ कारी रहता है।
    भादों में पड़ने वाली तीज का महिलाओं को इंतजार रहता है। हिन्दू धर्म में चार प्रकार की तीज मनायी जाती है। जि‍समें अखा तीज, हरि‍याली तीज, कजरी, और हरतालिका तीज शामिल है। इस दौरान आकाश में घुमड़ती काली घटाओं के कारण इस पर्व को कजली अथवा कजरी तीज कहा जाता है। कजरी तीज को लेकर मान्याता है कि शिव-गौरी की पूजा करने से सौभाग्यवती स्त्री को अखंड सुहाग की प्राप्ति होती है। दांपत्यद जीवन सुखमय होने के साथ ही इसमें प्रेम का वास होता है। वहीं कुंवारी कन्या्ओं के व्रत रखने को लेकर माना जाता है कि‍ उन्हेंन अच्छे वर की प्राप्ति होती है।

    Explore more

    spot_img