खैरथल जिले का नाम भरतरी करने और जिला मुख्यालय स्थानांतरण के विरोध में गुरुवार को जबरदस्त जनसैलाब उमड़ा। तिरंगा बाइक रैली में युवाओं और नेताओं ने गगनभेदी नारे लगाए और 22 अगस्त से बड़े आंदोलन का ऐलान किया।
मिशनसच न्यूज, मनीष मिश्रा-खैरथल।
खैरथल जिले का नाम बदलकर भरतरी करने के प्रस्ताव और जिला मुख्यालय को खैरथल से अन्यत्र स्थानांतरित करने की आशंका के खिलाफ गुरुवार को शहर में अभूतपूर्व जनसैलाब देखने को मिला। जिला बचाओ संघर्ष समिति के आह्वान पर हजारों लोग सड़कों पर उतर आए और तिरंगा बाइक रैली निकालकर सरकार से खैरथल को जिला मुख्यालय बनाए रखने की पुरजोर मांग की।
भगत सिंह तिराहे से शुरू हुई तिरंगा बाइक रैली
तिरंगा बाइक रैली की शुरुआत भगत सिंह तिराहा किशनगढ़ रोड से हुई। रैली शहर के प्रमुख मार्गों – रेलवे फाटक, मातोर रोड, हनुमान चौक, अनाज मंडी बाईपास, हरसोली रोड और अंबेडकर सर्किल से होती हुई आगे बढ़ी।
रैली के दौरान युवाओं में भारी जोश देखने को मिला। हाथों में तिरंगा थामे और नारों से गूंजते हुए लोग पूरे शहर में खैरथल की पहचान बचाने का संदेश दे रहे थे।
रैली में गूंजे प्रमुख नारे –
“खैरथल की पहचान – जिले का नाम बचाओ, जिला मुख्यालय यहीं बनाओ”
“सरकार होश में आओ”
“खैरथल की पहचान किसी भी कीमत पर नहीं छीनी जाएगी”
आंदोलन की कमान संभाले नेता और सामाजिक संगठन
इस आंदोलन की अगुवाई व्यापार समिति अध्यक्ष सर्वेश गुप्ता, संयुक्त व्यापार महासंघ अध्यक्ष ओमप्रकाश रोघा, समाजसेवी विक्रम चौधरी, समाजसेवी पंकज रोघा, विधायक दीपचंद खेरिया, पूर्व प्रधान मुंडावर रोहतास चौधरी, कांग्रेस ब्लॉक अध्यक्ष मुंडावर अखिलेश कौशिक और मास्टर शिवचरण गुप्ता ने की।
इन नेताओं ने स्पष्ट कहा कि खैरथल की पहचान किसी भी कीमत पर नहीं छीनी जाएगी और यदि सरकार ने निर्णय वापस नहीं लिया तो आंदोलन और तेज किया जाएगा।
22 अगस्त से बड़े आंदोलन की घोषणा
व्यापार महासंघ अध्यक्ष ओमप्रकाश रोघा और व्यापार समिति अध्यक्ष सर्वेश गुप्ता ने रैली में ऐलान किया कि यह संघर्ष अब लंबा चलेगा।
उन्होंने बताया कि 22 अगस्त सुबह 9 बजे मातोर रोड स्थित हनुमान चौक से विशाल आक्रोश रैली निकाली जाएगी, जिसमें हरसोली, जिंदोली परगना और मुंडावर क्षेत्र के लोग भी शामिल होंगे। इसके बाद नियमित धरना-प्रदर्शन शुरू होगा।
जनता का संदेश – पहचान छीनी तो आंदोलन होगा उग्र
रैली में शामिल लोगों ने सरकार को चेतावनी दी कि यदि खैरथल को जिला मुख्यालय का दर्जा नहीं मिला और जिले का नाम बदला गया तो यह आंदोलन और भी उग्र रूप लेगा।
लोगों ने कहा कि खैरथल की पहचान, उसका इतिहास और उसका संघर्ष किसी नाम के बदलाव या मुख्यालय स्थानांतरण से मिटाया नहीं जा सकता।
इस जनआंदोलन ने साफ कर दिया है कि खैरथल की जनता अपनी पहचान और अधिकार के लिए एकजुट है और सरकार को इस मुद्दे पर दोबारा विचार करना होगा।