More

    गुमला में बारिश का कहर, पुल टूटने से सड़क संपर्क बाधित

    झारखंड में पिछले कुछ दिनों से हो रही मूसलधार बारिश अब लोगों के लिए परेशानी का सबब बनती जा रही है. लगातार 48 घंटे से अधिक समय से हो रही बारिश का सबसे बड़ा असर गुमला जिले में देखने को मिला है. जिले के सिसई में डड़हा-छारदा रोड पर स्थित कंस नदी पर बना पुल जोरदार बारिश के बाद ध्वस्त हो गया. पुल का एक हिस्सा नदी में गिर जाने से आवागमन पूरी तरह बाधित हो गया है और आसपास के दर्जनभर से ज्यादा गांवों का संपर्क टूट गया है.

    स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा के मद्देनज़र तुरंत कार्रवाई करते हुए पुल के दोनों ओर बैरिकेडिंग कर दी है, ताकि किसी भी तरह की दुर्घटना को रोका जा सके. अब डड़हा, छारदा, जोरार, लूरगुम और आसपास के कई गांवों के लोगों को सिसई प्रखंड तक पहुंचने के लिए लंबा चक्कर लगाकर जाना पड़ रहा है.

    3 करोड़ रुपये की लागत से बना था पुल
    ग्रामीणों के अनुसार, कंस नदी पर बना यह पुल लगभग 200 फीट लंबा था और इसे वर्ष 2010 में करीब 3 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया था. हालांकि, निर्माण के महज 15 साल के भीतर ही इसकी स्थिति इतनी खराब हो गई कि भारी बारिश के चलते 22 और 23 अगस्त की दरमियानी रात पुल का एक पिलर धंस गया और उसके साथ ही पुल का बड़ा हिस्सा नदी में समा गया.

    लोगों का कहना है कि यह पुल इलाके के लिए बेहद अहम था, क्योंकि इसके जरिए ग्रामीण अपने रोजमर्रा के कामों के लिए सिसई प्रखंड से जुड़े रहते थे. अब पुल के ध्वस्त हो जाने से उन्हें अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ेगी, जिससे समय और श्रम दोनों की खपत बढ़ गई है.

    पहले भी हो चुकी है झारखंड में ऐसी घटना
    यह पहली बार नहीं है जब झारखंड में लगातार बारिश के कारण किसी पुल को भारी नुकसान हुआ हो. इससे पहले जून महीने में खूंटी जिले में भी ऐसी ही घटना हुई थी. वहां तोरपा-सिमडेगा रोड को जोड़ने वाले बनई नदी पर बने पुल का एक हिस्सा तेज बारिश और तेज धारा की वजह से टूट गया था. उस समय पुल से एक ट्रक गुजर रहा था. अचानक पुल टूटने से बड़ा हादसा होते-होते टल गया, क्योंकि चालक ने फौरन इमरजेंसी ब्रेक लगाकर ट्रक को रोक दिया. यदि ट्रक आगे बढ़ जाता तो वह सीधे नदी में समा सकता था और चालक की जान भी जा सकती थी.

    खूंटी जिले की यह घटना भी लोगों के लिए परेशानी का सबब बनी थी. पुल के टूट जाने के बाद आसपास के गांवों के स्कूली बच्चों को सबसे अधिक दिक्कत उठानी पड़ी. पढ़ाई जारी रखने के लिए वे बच्चे जान जोखिम में डालकर बांस की सीढ़ी का सहारा लेते हुए टूटे हुए पुल के अवशेषों पर चढ़ते-उतरते स्कूल जाते थे.

    स्थानीय लोगों का कहना है कि झारखंड में इन घटनाओं ने यह साफ कर दिया है कि प्रदेश में बने कई पुल और सड़कें बारिश का दबाव झेलने में सक्षम नहीं हैं. बार-बार पुल टूटने की घटनाएं यह संकेत देती हैं कि निर्माण कार्य की गुणवत्ता और रखरखाव पर गंभीर ध्यान देने की जरूरत है. बारिश का मौसम अभी और भी जारी है, ऐसे में लोगों में यह चिंता गहराती जा रही है कि कहीं अन्य जगहों पर भी ऐसी घटनाएं दोहराई न जाएं.

    Latest news

    Related news

    LEAVE A REPLY

    Please enter your comment!
    Please enter your name here