खैरथल-तिजारा में नया भतृहरि नगर बसाने को लेकर असमंजस, जनता में बढ़ता विरोध
मिशनसच न्यूज, किशनगढ़ बास। राजस्थान की राजनीति में इन दिनों खैरथल-तिजारा जिले का नाम बदलकर नया भतृहरि नगर बसाने की चर्चा जोरों पर है। इस संभावित नामकरण को लेकर इलाके में असमंजस और विरोध की स्थिति बनी हुई है। कांग्रेस सरकार के समय बने इस नए जिले की पहचान पर अब संकट खड़ा हो गया है।
खैरथल की जनता का विरोध
खैरथल के लोग साफ शब्दों में कह रहे हैं कि वे जिले की पहचान मिटने नहीं देंगे। उनका तर्क है कि विधायक दीपचंद खेरिया के अथक प्रयासों से दो साल पहले कांग्रेस सरकार ने खैरथल को जिला घोषित किया था। अब यदि इसका नाम बदलकर नया भतृहरि नगर कर दिया जाता है, तो खैरथल का विकास ठप हो जाएगा और यहां की पहचान भी मिट जाएगी।
विरोधियों का कहना है कि यह कदम जनता की आकांक्षाओं के साथ खिलवाड़ है।
विपक्ष का आरोप
विपक्षी दलों ने भी इस मुद्दे को हथिया लिया है। उनका आरोप है कि भतृहरि नामकरण जमीन के सौदागरों को फायदा पहुंचाने के लिए किया जा रहा है। विपक्षी नेता लगातार सत्ता पक्ष पर निशाना साध रहे हैं और इसे जनता के साथ धोखा बता रहे हैं।
किशनगढ़ बास का दर्द
जिले का नाम बदलने की चर्चाओं के बीच किशनगढ़ बास के लोग अलग तरह की नाराजगी जता रहे हैं। उनका कहना है कि जिला मुख्यालय का असली हकदार किशनगढ़ बास है।
इतिहास गवाह है कि किशनगढ़ बास न केवल सबसे पुराना उपखंड रहा है, बल्कि लंबे समय तक यह प्रशासनिक और न्यायिक केंद्र भी था। लगभग 50 किलोमीटर के दायरे में यही कस्बा प्रशासनिक व न्यायिक सेवाएं देता था।
व्यापारियों और प्रबुद्धजनों का आरोप है कि पिछले 35 वर्षों से लगातार इस कस्बे को नजरअंदाज किया गया और धीरे-धीरे इसके अधिकारों को सीमित कर दिया गया। यही कारण है कि अब किशनगढ़ बास के व्यापारी मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री को ज्ञापन देकर इसे जिला मुख्यालय बनाए जाने की मांग कर रहे हैं।
सत्ता पक्ष का पक्ष
दूसरी ओर, अलवर सांसद और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव का कहना है कि उनकी योजना लोकदेवता भतृहरि महाराज के नाम पर जिले को देश का सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरिंग और इंडस्ट्रीज हब बनाने की है।
उन्होंने खुले मंच से भगवान राम मंदिर में संकल्प लेते हुए कहा था कि खैरथल को केंद्र में रखकर कोटकासिम, मुंडावर और किशनगढ़ बास का समग्र विकास किया जाएगा। उनका तर्क है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नारा सबका साथ, सबका विकास इसी योजना से साकार होगा।
जनता में असमंजस
हालांकि खैरथल के लोग इस पर सहमत नहीं हैं। उनका साफ कहना है कि वे जिले का नाम बदलने नहीं देंगे और न ही मुख्यालय को यहां से हटने देंगे।
अब जनता के बीच यह सवाल गूंज रहा है कि –
जिस भरोसे से उन्होंने भूपेंद्र यादव को सांसद चुना था, क्या वह भरोसा अब टूट रहा है?
क्या खैरथल की जनता को अब उनके संकल्प पर शक हो रहा है?
या फिर जनता उनकी योजनाओं को समझ नहीं पा रही है?
खैरथल-तिजारा जिले का नाम बदलकर नया भतृहरि नगर बसाने की चर्चाओं ने पूरे इलाके को असमंजस की स्थिति में डाल दिया है। खैरथल और किशनगढ़ बास दोनों ही अपनी-अपनी दावेदारी और पहचान के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
अब देखना यह है कि सरकार जनता की भावनाओं को ध्यान में रखकर कोई संतुलित फैसला करती है या फिर विरोध और विवाद का सिलसिला आगे बढ़ेगा।