खैरथल के राधा रानी लाडली महल में राधाष्टमी महोत्सव धूमधाम से मनाया गया। भजन-कीर्तन, आकर्षक सज्जा और हजारों भक्तों की भीड़ के बीच राधे-राधे के जयकारों से गूंजा पूरा शहर। पढ़िए पूरी खबर।
मिशनसच न्यूज, मनीष मिश्रा – खैरथल।
खैरथल की पावन भूमि रविवार को भक्ति और श्रद्धा के अनूठे संगम की साक्षी बनी। अवसर था राधाष्टमी महोत्सव का, जिसे राधा रानी लाडली महल में बड़े ही हर्षोल्लास और परंपरागत श्रद्धा भाव से मनाया गया। जैसे ही प्रातः काल की पहली किरणें मंदिर परिसर पर पड़ीं, पूरा वातावरण “राधे-राधे” के मधुर जयकारों से गूंज उठा।
सुबह से ही भक्तिमय माहौल
मंदिर के संस्थापक महंत पंडित शशि भूषण गल्याण मिश्र ने जानकारी दी कि महोत्सव का शुभारंभ प्रातः 4 बजे श्रीजी के चरण दर्शन से हुआ। इसके बाद हुई मंगला आरती में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। भक्तों ने धूप-दीप और भजन-कीर्तन के बीच राधा रानी का आशीर्वाद प्राप्त किया।
सुबह 4:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक मंदिर के पट बंद रहे, परंतु श्रद्धालुओं की भीड़ शाम तक मंदिर परिसर में बनी रही। जैसे ही शाम 6 बजे पट खुले, तो भक्तों की लंबी कतारें दर्शन के लिए उमड़ पड़ीं। रात 12 बजे तक निरंतर दर्शन का क्रम चलता रहा।
दुल्हन की तरह सजा लाडली महल
राधाष्टमी महोत्सव पर लाडली महल को आकर्षक विद्युत सज्जा और फूलों से इस प्रकार सजाया गया जैसे मानो कोई दुल्हन सजी हो। मंदिर परिसर की छटा देखते ही बनती थी। चारों ओर रंग-बिरंगी रोशनी और फूलों की सजावट ने भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
भजन-कीर्तन और उत्साह
महोत्सव के दौरान पूरे दिन भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया। स्थानीय कलाकारों और भजन मंडलियों ने राधा-कृष्ण की महिमा का गुणगान किया। “राधे-राधे” और “श्याम तेरी बंसी पुकारे” जैसे भजनों ने पूरे वातावरण को भक्तिमय बना दिया। महिलाएं और बच्चे भी भजन मंडलियों के साथ झूमते नजर आए।
भक्तों की सेवा में समिति
आयोजन समिति ने भक्तों की सुविधा का विशेष ध्यान रखा। समिति के सदस्य दीपक सेन, पंकज अग्रवाल, संदीप मिश्रा, विष्णु गुप्ता, राकेश गुप्ता, उमाशंकर गोयल और बंसीलाल ने मिलकर पूरे आयोजन को सफल बनाया। श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद वितरण, पानी और बैठने की व्यवस्था भी सुचारु रूप से की गई।
राधाष्टमी का महत्व
हिंदू धर्म में राधाष्टमी का विशेष महत्व है। यह तिथि भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी को आती है और इसे राधा रानी का प्राकट्य दिवस माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन राधा रानी का स्मरण करने और उपवास-पूजन करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
भक्तों ने लिया दिव्य आशीर्वाद
खैरथल और आसपास के क्षेत्रों से आए हजारों श्रद्धालुओं ने इस अवसर पर राधा रानी के दिव्य स्वरूप का दर्शन कर स्वयं को धन्य महसूस किया। मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बन रहा था। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी राधा भक्ति में लीन दिखाई दिए।
इस प्रकार खैरथल में मनाया गया राधाष्टमी महोत्सव सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भक्ति, श्रद्धा और सामूहिक सहभागिता का प्रतीक बनकर उभरा।