भागदौड़ वाली जिंदगी में योग कर जीवन को स्वस्थ और आसान बनाए: योग शिक्षक संजीव शर्मा

अलवर. योग शिक्षक संजीव शर्मा ने कहा कि भागदौड़ वाली जिंदगी में व्यक्ति यदि अष्टांग योग करे तो जीवन को स्वस्थ और आसान बना सकता है। प्रकृति से तालमेल बिठा व्यक्ति को स्वस्थ जीवन जीने की कला है योगाभ्यास। तभी तो चिकित्सक से लेकर बड़े अधिकारी भी अपने व्यस्त जीवन में योगाभ्यास करना नहीं भूलते।  पंतजलि योग सूत्र में 84 आसन बताए गए हैं। योग शिक्षक शर्मा अलवरवासियों का प्रकृति से तालमेल बिठा स्वस्थ जीवन जीने की कला को आगे बढ़ा रहे हैं, उनकी उम्र को देख भले ही लोगों को विश्वास नहीं हो, लेकिन अब तक वे हजारों लोगों का जीवन आसान कर चुके हैं। अलवर निवासी योग शिक्षक शर्मा का कहना है कि योगाभ्यास प्रकृति से जुड़ा तालमेल है। हमारा शरीर पंचतत्व से बना है और प्रकृति और ब्रहृमांड भी पंचतत्व से मिलकर बना है। योगाभ्यास इस सबके बीच तालमेल बिठाने का माध्यम है। व्यक्ति प्रकृति के जितना नजदीक रहेगा, वह उतना ही स्वस्थ रहेगा।

आठ आसन कर व्यक्ति रह सकता है स्वस्थ

योग शिक्षक शर्मा का मानना है कि वैसे तो 84 आसन बताए गए हैं, लेकिन व्यक्ति छोटे— छोटे आसन, प्राणायाम और कुछ यौगिक व ध्यान आदि क्रियांए कर स्वस्थ रह सकता है। योगाभ्यास का अर्थ है व्यक्ति स्व प्रबंधन और भागदौड़ के जीवन में स्व प्रबंधन कर वह स्वस्थ रह सकता है।

25 साल से करा रहे योगाभ्यास

योग शिक्षक संजीव शर्मा पिछले 25—30 सालों से अलवर में योगाभ्यास करा रहे हैं। उनके शिविर में शहर के ज्यादातर डॉक्टर्स, अधिकारी, व्यापारी एवं उद्योगपति समेत अन्य महिला— पुरुष योगाभ्यास करते हैं। विश्व योगा दिवस से पूर्व वे अलवर के नेहरू गार्डन में आमजन के लिए एक महीने का विशेष योग शिविर लगाते हैं। इन दिनों भी यह शिविर चल रहा है। शर्मा ने वर्ष 2016—17 से इस शिविर की शुरुआत की और तभी से हर साल निरंतर लगाया जा रहा है। अब तक संजीव शर्मा शहर में हजारों लोगों को योगाभ्यास करा चुके हैं। साथ ही कई अन्य शहरों में भी योगाभ्यास करा चुके हैं।

तनाव, जोड़ों व रीढ़ की हडडी के दर्द में होता है सहायक

इन दिनों लोग शारीरिक विकार, मानसिक रोग, तनाव, जोड़ों का दर्द, रीढ़ की हडडी का दर्द आदि से परेशान रहते हैं। योगाभ्यास से इन रोगों में काफी राहत मिलती है और लोगों के अस्पतालों के चक्कर व दवाओं का आर्थिक खर्च भी बच जाता है।

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