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    अगर भुजबल नाराज़ हैं तो मंत्री पद छोड़ दें, डिप्टी CM फडणवीस के बयान पर सियासत गरमाई, महायुति में बढ़ा तनाव

    मुंबई: महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई वाली सरकार ने भले ही मुंबई में मराठा आरक्षण आंदोलन को खत्म करवा लिया लेकिन अब छगन भुजबल ने नई टेंशन दे दी है। वह मनोज जरांगे पाटिल की मांगों को माने जाने के बा नाराज बताए जा रहे हैं। राज्य में सबसे बड़े ओबीसी नेता माने जाने वाले भुजबल को दूसरे ओबीसी विधायकों का भी समर्थन मिला है। सरकार ने जब ओबीसी के लि उप समिति गठित की थी, तब उस कैबिनेट की बैठक में भुजबल शामिल नहीं हुए थे। भुजबल के मौजूदा रुख से महायुति में महाटेंशन की स्थिति है। वे राज्यव्यापी आंदोलन की चेतावनी दे चुके हैं। सीएम फडणवीस भुजबल को शांत करने की कोशिश कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ उद्धव ठाकरे की शिवसेना यूबीटी के नेता संजय राउत ने नमक रगड़ दिया है। उन्होंने कहा है कि भुजबल इस्तीफा दे दें।

    क्यों भड़के हुए हैं छगन भुजबल?
    महायुति सरकार ने मराठा आंदोलन के बाद आरक्षण को लेकर हैदराबाद गजट को मान्यता दे दी है। इसके बाद से ओबीसी नेता और मंत्री छगन भुजबल भन्नाए हुए हैं। उन्होंने साफ़ तौर से कहा है कि अगर ओबीसी कोटे से मराठा समाज को आरक्षण दिया गया तो वे इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे। भुजबल जहां नाखुश हैं तो वहीं विपक्ष के ओबीसी विधायक उनके समर्थन में आ गए हैं। ऐसे में उनकी ताकत दोगुनी हो गई है। भुजबल कह चुके हैं कि मंत्री पद से ज्यादा मेरे लिए अपने समाज की रक्षा बेहद अहम है। ऐसी संभावना है कि अगर इस मुद्दे पर विवाद और बढ़ा तो वे मंत्री पद से इस्तीफा भी दे सकते हैं। इतना ही नहीं ओबीसी की समता परिषद महायुति सरकार के जीआर के खिलाफ कोर्ट जा सकती है।

    OBC का नुकसान नहीं : फडणवीस
    भुजबल के तल्ख तेवरों को देखते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि मैंने उनसे चर्चा करते हुए आश्वासन दिया है कि हैदराबाद गजट को लेकर जारी जीआर से ओबीसी समुदाय को किसी भी तरह से नुकसान नहीं होगा। यह जीआर कोई व्यापक आदेश नहीं है। जीआर में विशिष्ट प्रावधानों का विवरण देने के साथ मराठवाड़ा क्षेत्र के विशिष्ट ऐतिहासिक संदर्भ का हवाला दिया गया है। मराठवाड़ा में ब्रिटिश नहीं बल्कि निजाम का शासन था। इस जीआर की मदद से वही लोग कुणबी प्रमाण पत्र हासिल कर सकेंगे जो वास्तव में इसके हकदार हैं। फडणवीस जहां भुजबल की नाराजगी कम करने की कोशिश कर रहे हैं तो वहीं उद्धव ठाकरे गुट के नेता संजय राउत ने नमक रगड़ रहे हैं। उन्होंने कहा है कि अगर भुजबल को लगता है कि महाराष्ट्र सरकार के फैसले से ओबीसी के साथ अन्याय हुआ है तो उन्हें आत्मसम्मान और नैतिकता की खातिर पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। ऐसे में चर्चा हो रही है कि भुजबल क्या फिर से इस्तीफा देंगे?

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