व्यापार: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाने के बाद देश के एक्सपोर्ट को नुकसान हो रहा है. जिसका असर एमएसएमई सेक्टर पर ज्यादा पड़ने का आशंका है. इसी बात को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार सूक्ष्म, लघु और मध्यम निर्यातकों के लिए एक व्यापक राहत पैकेज को अंतिम रूप दे रही है. जिससे उनको एक्सपोर्ट में होने वाले नुकसान की भरपाई की जा सके.
सीएनबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार की ओर इस सेक्टर को दिए जाने वाला राहत पैकेज अब अंतिम चरण में है. अमेरिका की ओर से टैरिफ लगाए जाने के कारण इस इंडस्ट्री को $45 से $80 बिलियन के बीच अनुमानित नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.
पांच योजानाएं हैं शामिल
प्रस्तावित योजना के मूल में पांच नई योजनाएं हैं, जो COVID-युग की क्रेडिट गारंटी पर आधारित हैं, लेकिन आज की चुनौतियों के हिसाब से तैयार की गई हैं. इन पहलों का मकसद है कि बिजनेस को वर्किंग कैपिटल तक आसानी से पहुच मिले, बिना गिरवी रखे लोन की लिमिट ₹10 लाख से बढ़ाकर ₹20 लाख कर दी जाए और ब्याज पर सब्सिडी देकर लोन सस्ता किया जाए. इस पैकेज से इक्विटी फाइनेंसिंग के नए रास्ते भी खुलेंगे, जिससे कंपनिया बिना कर्ज बढ़ाए अपने बिजनेस के लिए फंड जुटा पाएंगी. इसके साथ ही टेक्सटाइल, गारमेंट, जेम्स-एंड-ज्वेलरी, लेदर, इंजीनियरिंग गुड्स और एग्रो-मरीन एक्सपोर्ट जैसे सेक्टर्स को स्पेशल सपोर्ट दिया जाएगा.
क्या है मकसद?
इसका बड़ा उद्देश्य है वर्किंग कैपिटल का बोझ कम करना, नौकरियों को बचाना और एक्सपोर्टर्स को शिपमेंट डाइवर्सिफाई करने और नए मार्केट ढूंढने के लिए टाइम देना. कई कंपनियां पहले से ही रिस्क कम करने के लिए भूटान और नेपाल के रास्ते ट्रेड कर रही हैं. ये स्टेप दिखाता है कि सरकार चाहती है रोजगार देने वाले एक्सपोर्ट सेक्टर को ग्लोबल झटकों से बचाया जाए और बाहर की चुनौतियों के बावजूद ग्रोथ को तेजी दी जाए.