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    गुरदासपुर बाढ़ की मार – खेत से लेकर छत तक सबकुछ डूबा, लोग पूछ रहे कब और कैसे शुरू होगी नई जिंदगी

     गुरदासपुर ( पंजाब )। बाढ़ को आए बेशक दस दिन से अधिक गुजर चुके हैं।, मगर अभी भी कुछ गांवों में तथा घरों में भी बाढ़ का पानी खड़ा है। बटाला से डेरा बाबा नानक रोड पर जाते दाएं तरफ देखने से ऐसा प्रतीत हो रहा है जैसे जहां कोई घर, गांव यां खेत नहीं बल्कि बहुत बड़ा दरिया हो। बाढ़ की त्रासदी इन गांवों के परिवारों से बातचीत करने से साफ तथा स्पष्ट देखने को मिल रही है। दैनिक जागरण की तरफ से बाढ़ प्रभावित गांवों के अंदर जाकर लोगों के साथ बातचीत कर उनके हालात जाने गए। कस्बा डेरा बाबा नानक के गांव मान, जोड़ीयां, धर्मकोट रंधावा, झंगीयां, ठेठरके आदि गांव में जाकर बाढ़ की मार से हुई त्रासदी की तस्वीरें ली गई तथा पीड़ितों से बातचीत की गई। कस्बा डेरा बाबा नानक के नजदीक गांव मालवा के लोगों के बहुत बुरे हालात देखें गए।

    बाढ़ ने छीन लिया लोगों का आशियाना
    गांव मान के निवासी निम्मा मसीह पुत्र नाजर मसीह ने बताया कि उसकी पत्नी सरबजीत की आंखों की रोशनी कुछ समय पहले जा चुकी है। निम्मा मसीह ने बताया कि उनके घर के सिर्फ दो छोटे छोटे कमरे हैं। जो की बाढ़ के पानी के बाद बद से बदतर हो चुके हैं। निम्मा मसीह के परिवार में उनसे अतिरिक्त उनकी पत्नी, बेटा, बहू तथा एक छोटा पोता है। उन्होंने बताया कि उसके घर के घरेलू सामान के अतिरिक्त फ्रिज, टीवी पूरी तरह खराब हो चुके हैं। उन्होंने बताया की बाढ़ का पानी निकलने के पश्चात उनके घर के कमरों के अंदर डेढ़ से दो फुट तक गार जमा हो चुकी है तथा दोनों कमरे रहने के योग्य नहीं रह गए। वह कमरे में जाने से भी डर रहे हैं कि किसी समय भी कमरे की छत गिर सकती है।

    इसी तरह इसी गांव की विधवा माता मिंदो उर्फ भोली (75) के परिवार की भी दास्तान दिल को झिंझोड़ देने वाली है। बाढ़ की मार में आने की वजह से माता के कच्चे घर की छत के दोनों कमरे ध्वस्त हो चुके हैं। माता मिंदो उर्फ भोली की त्रासदी यह है कि उसका पति भी गुजर चुका है। दूसरा उसके तीन बच्चे थे जिनमें दो लड़के व एक लड़की थी। जो कि अब तीनों ही उस भगवान को प्यार हो चुके हैं तथा उसकी दोनों बहुएं घर छोड़कर जा चुकी हैं तथा वह अपने सिर्फ एक चार साल के पोते अरमान के साथ जिंदगी के दिन मुश्किल काट रही है। माता ने बताया कि बाढ़ का पानी आने की वजह से उसके रहने की छत, खाने पीने का सामान तथा कपड़े तक बेकार हो चुके हैं। वह तथा उसका पोता गांव में ही किसी दूसरे के घर रात को सोने जाते है। इसी गांव के जरनैल सिंह पुत्र अमर सिंह के घर का हाल भी बयान करते रोंगटे खड़े होते हैं। नां तो कोई कपड़ा पहनने को तथा ना ही ऊपर ओड़ने को रह गया है।

    'भगवान ऐसे दिन किसी को भी ना दिखाए'
    एक और पीड़ित ने कहा कि उसके घर का सारा सामान बारिश तथा बाढ़ की भेंट चढ़ चुका है। यहां यह भी बताने योग्य है कि इस गांव की फसल भी पूरी तरह डूबी हुई है तथा बिल्कुल ही खराब हो चुकी है। जब गांव का दौरा किया गया तो करीब-करीब पूरा गांव ही अपने-अपने घर के बाहर आकर कहने लगे की सरकार तक हमारी आवाज पहुंचाई जाए कि उनकी पूरी तरह आर्थिक मदद की जाए। उन्होंने कहा कि इस बाढ़ ने उनका सब कुछ छीन लिया है।

    गांव के ज्यादातर घरों की छत्तें कच्ची होने की वजह से कई स्थान से टूटी हुई थी। गांव के एक तरफ तो बाढ़ का पानी 6 से 8 फीट तक आ चुका था। लोग अपने घर की छत पर रहने के लिए मजबूर थे जो कि अब भी कई लोग घरों की छत्तों के ऊपर डेरा जमाए हुए हैं। ज्यादातर घरों का घरेलू सामान खराब हो चुका है। घरों की करीब करीब सभी रजाइयां, कंबल, दरियां, चादरें सहित अनेको कपड़े बाढ़ के पानी से खराब होने की वजह से सूखने के लिए दीवारों पर डाले हुए थे तथा गली में भी अलमारियां, पलंग भी उन्होंने रखे हुए थे। ताकि शायद सूखने के बाद वह कुछ काम आ सके। गांव निवासियों ने बताया कि इस बाढ़ ने उनका सब कुछ छीन लिया है। उनके गांव की करीब सारी फसल अभी भी पानी में डूबी हुई है। जो की पूरी तरह सड़ चुकी है। गांव निवासियों ने पंजाब सरकार से गुहार लगाई है कि उनकी आर्थिक स्थिति को देखते हुए उनकी मदद की जाए।

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