विधानसभा में विधायकों की हिडन कैमरों से जासूसी के आरोप पर कांग्रेस आक्रामक, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा। विधानसभा की गरिमा और निजता के अधिकार पर बड़ा सवाल।
मिशनसच न्यूज, जयपुर। राजस्थान की राजनीति इन दिनों विधानसभा में हिडन कैमरों से जासूसी के आरोपों को लेकर गरमा गई है। कांग्रेस ने इसे संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन बताते हुए कड़ा विरोध दर्ज कराया है और अब यह मामला राज्यपाल के दरबार तक पहुंच गया है।
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने बताया कि 9 सितम्बर को विधानसभा की कार्यवाही के दौरान प्रतिपक्ष के ‘ना पक्ष ब्लॉक’ में लगे हिडन कैमरों का मुद्दा आसन के सामने उठाया गया। उनका आरोप है कि इन कैमरों के जरिए प्रतिपक्ष के विधायकों की जासूसी की जा रही है। उन्होंने कहा कि सदन स्थगित होने के बाद भी ये कैमरे रिकॉर्डिंग करते रहते हैं, जो कि विधायकों की निजता पर सीधा हमला है।
जूली ने सवाल उठाया कि जब विधानसभा में कार्यवाही की रिकॉर्डिंग और सीधा प्रसारण पहले से ही हो रहा है, तो अचानक प्रतिपक्ष वाले ब्लॉक में हिडन कैमरे लगाने की आवश्यकता क्यों पड़ी? उन्होंने यह भी पूछा कि ये कैमरे कब लगाए गए, किस बजट से लगाए गए और क्या इंटेलिजेंस से इसकी अनुमति ली गई। साथ ही, इसका एक्सेस किन लोगों तक है – यह भी जांच का विषय है।
कांग्रेस विधायकों ने इस मुद्दे पर बार-बार आसन से व्यवस्था की मांग की, लेकिन उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं मिला। जूली ने आरोप लगाया कि “आसन और संसदीय कार्य मंत्री ने गंभीरता को नजरअंदाज कर प्रतिपक्ष की आवाज दबाने का काम किया।”
विवाद उस समय और गहराया जब सरकारी मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने सदन में दिए बयान में कहा कि “यह सदन है, न कि किसी का बैडरूम या बाथरूम। इसमें निजता कहां से आ गई।” कांग्रेस ने इसे निंदनीय और सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला बताया।
इतना ही नहीं, सत्तापक्ष के विधायक गोपाल शर्मा पर कांग्रेस ने सदन की गरिमा तार-तार करने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि शर्मा ने सदन में कांग्रेस विधायकों के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया और यहां तक कहा कि “रात को यहां धरना देते हैं और कुकृत्य की कोशिश करते हैं।” कांग्रेस ने इसे गंभीर मामला मानते हुए विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव भी प्रस्तुत किया।
जूली ने कहा कि कांग्रेस का उद्देश्य हंगामा करना नहीं था। यदि आसन चाहता तो केवल 15 मिनट के लिए कार्यवाही स्थगित कर कैमरों की पूरी कार्यप्रणाली का स्पष्टीकरण सामने रखा जा सकता था। लेकिन मांग न माने जाने से सदन में गतिरोध की स्थिति बनी और प्रतिपक्ष दो महत्वपूर्ण विधेयकों की चर्चा में भाग नहीं ले पाया।
इस पूरे घटनाक्रम को लेकर कांग्रेस विधायक दल के प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को राज्यपाल से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन सौंपने वालों में नेता प्रतिपक्ष जूली के साथ उपनेता रामकेश मीणा, सचेतक रफीक खान, वरिष्ठ विधायक राजेंद्र पारीक, अमीन कागजी, अमित चाचाण और सांसद भजनलाल जाटव शामिल रहे।
राज्यपाल ने कांग्रेस विधायकों की आपत्तियां गंभीरता से सुनीं और मामले पर रिपोर्ट मंगवाने का आश्वासन दिया।
कांग्रेस का कहना है कि यह मुद्दा केवल प्रतिपक्ष या विधायकों का नहीं, बल्कि लोकतंत्र और संविधान की आत्मा से जुड़ा है। अनुच्छेद 21 के तहत हर नागरिक को निजता का अधिकार मिला है। यदि विधानसभा जैसे पवित्र सदन में ही निगरानी और जासूसी होगी तो लोकतंत्र का अस्तित्व खतरे में पड़ जाएगा।
अब देखना यह होगा कि राज्यपाल के हस्तक्षेप के बाद क्या इस मामले की निष्पक्ष जांच होती है या यह विवाद और गहराता है।