आनासागर झील क्षेत्र में वेटलैंड नियमों का उल्लंघन कर बनाए गए 7 वंडर्स और फूड कोर्ट प्रकरण में अब कार्यवाही की मांग जोर पकड़ने लगी
मिशन सच न्यूज़, भीलवाड़ा। आनासागर झील क्षेत्र में वेटलैंड नियमों का उल्लंघन कर बनाए गए सेवन वंडर्स और फूड कोर्ट प्रकरण में अब जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही और उनसे राशि वसूली की मांग जोर पकड़ने लगी है। पीपुल फॉर एनीमल्स के प्रदेश प्रभारी एवं पर्यावरणविद् बाबूलाल जाजू ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर दोषी अधिकारियों से करीब 20 करोड़ रुपए की सार्वजनिक धनराशि वसूलने तथा उनके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की मांग की है।
एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद तोड़फोड़
गौरतलब है कि एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में आदेश जारी करते हुए आनासागर झील के किनारे बनाए गए सेवन वंडर्स की प्रतिकृतियों को ध्वस्त करने के निर्देश दिए थे। आदेश के अनुपालन में अजमेर प्रशासन की ओर से इन प्रतिकृतियों को तोड़ा जा रहा है। वहीं, झील किनारे बना फूड कोर्ट पहले ही 7 अप्रैल को ध्वस्त कर दिया गया था। पर्यावरणविद् जाजू का कहना है कि यह निर्माण वेटलैंड नियमों, मास्टर प्लान और न्यायालयों के आदेशों का खुला उल्लंघन था। स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत करोड़ों रुपए खर्च कर बनाए गए इन अवैध ढांचों ने न केवल झील के पारिस्थितिक संतुलन को खतरे में डाला, बल्कि जनता के खून-पसीने की कमाई भी बर्बाद कर दी।
20 करोड़ का नुकसान
जाजू ने बताया कि सेवन वंडर्स प्रोजेक्ट पर 11.12 करोड़ रुपए और फूड कोर्ट निर्माण पर 8.62 करोड़ रुपए खर्च किए गए थे। यानी कुल मिलाकर करीब 20 करोड़ रुपए पानी में बहा दिए गए। उन्होंने कहा कि इस भारी नुकसान की भरपाई जनता के टैक्स से नहीं, बल्कि उन अधिकारियों से होनी चाहिए जिन्होंने नियमों को ताक पर रखकर यह अवैध निर्माण करवाए।
मुख्यमंत्री से कार्यवाही की मांग
जाजू ने मुख्यमंत्री से स्पष्ट मांग की है कि—
जिम्मेदार अधिकारियों की पहचान कर उनसे 20 करोड़ रुपए की राशि वसूली जाए।
नियमविरुद्ध कार्य करने वाले अधिकारियों पर विभागीय एवं दंडात्मक कार्रवाई की जाए।
भविष्य में वेटलैंड क्षेत्रों में इस तरह की अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए कठोर निगरानी तंत्र विकसित किया जाए।
उन्होंने कहा कि जनता की गाढ़ी कमाई से बने ऐसे प्रोजेक्ट जब न्यायालय के आदेशों पर ध्वस्त होते हैं तो यह न सिर्फ वित्तीय नुकसान है, बल्कि शासन-प्रशासन की विश्वसनीयता पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है।
पर्यावरण संरक्षण की जरूरत
जाजू ने कहा कि आनासागर झील अजमेर की धरोहर है और इसे संरक्षित रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। झील के किनारे इस तरह के व्यावसायिक व अवैध निर्माण न केवल पर्यावरण के लिए घातक हैं बल्कि भविष्य में जल संकट की समस्या को और गंभीर बना सकते हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की कि इस मामले को उदाहरण बनाकर ऐसे अधिकारियों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए, ताकि आगे कोई भी जिम्मेदार पदाधिकारी वेटलैंड और मास्टर प्लान नियमों की अनदेखी करने का दुस्साहस न कर सके।